प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को बेंगलुरु में 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में बड़ी कार्रवाई की। छापेमारी उन प्रमोटर्स पर हुई जो सहकारी बैंकों के ज़रिए 15,000 से ज्यादा जमाकर्ताओं से धोखाधड़ी करने के आरोपी हैं।
आइए जानते हैं इस बड़े बैंक घोटाले की पूरी कहानी।
📍कहां-कहां हुई छापेमारी?
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने जिन बैंकों और प्रमोटरों पर कार्रवाई की, उनमें शामिल हैं:
- सुष्रुति सौहार्द सहकारी बैंक
- श्रुति सौहार्द सहकारी बैंक
- श्री लक्ष्मी सौहार्द सहकारी बैंक
इन सभी बैंकों के प्रमोटर एन. श्रीनिवास मूर्ति और उनके परिवार के सदस्य बताए जा रहे हैं।
ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत बेंगलुरु और आसपास की 15 से अधिक जगहों पर छापेमारी की।
⚠️ आरोप क्या हैं?
प्रमोटरों पर यह गंभीर आरोप लगे हैं:
- जमाकर्ताओं को ज्यादा ब्याज का लालच देकर निवेश के लिए प्रेरित करना।
- इस तरीके से 100 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जुटाना।
- धन को अपने सहयोगियों को असुरक्षित ऋण के रूप में ट्रांसफर करना।
- इस पैसे से अचल संपत्तियां खरीदना और मनी लॉन्ड्रिंग करना।
💰 कैसे दी गई धोखाधड़ी को अंजाम?
जांच एजेंसी के सूत्रों के अनुसार:
- जमाकर्ताओं को अधिक रिटर्न का वादा कर निवेश कराया गया।
- धन को बैंकिंग सिस्टम से हटाकर बिना गारंटी के लोन के रूप में जारी किया गया।
- अधिकतर ऋण एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्ति) बन गए।
- इसके बाद धोखाधड़ी से कमाए धन को संपत्तियों में निवेश कर मनी लॉन्ड्रिंग की गई।
🏠 20 से अधिक संपत्तियों का चला पता
ईडी ने अब तक 20 से अधिक संपत्तियों की पहचान कर ली है जो इस घोटाले से जुड़ी बताई जा रही हैं।
इन संपत्तियों को आगे चलकर जब्त किया जा सकता है।
📢 क्यों है यह मामला बेहद गंभीर?
यह घोटाला सहकारी बैंकों में व्याप्त भ्रष्टाचार और कमजोर निगरानी की पोल खोलता है।
यह मामला इस वजह से अहम है:
- आम निवेशकों को बड़ा नुकसान
- सहकारी बैंकिंग प्रणाली पर सवाल
- नियामकीय ढांचे की कमजोरी उजागर
🔎 आगे क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि:
- ईडी संपत्तियों को जब्त कर सकती है
- प्रमोटरों की गिरफ्तारी संभव
- RBI द्वारा सहकारी बैंकों पर सख्त नियम लाए जा सकते हैं





