BY: Yoganand Shrivastva
फिल्म इंडस्ट्री के जाने-माने अभिनेता आर. माधवन अपनी एक्टिंग के लिए जितने मशहूर हैं, उतनी ही चर्चा में इन दिनों उनके बेटे वेदांत माधवन हैं। लेकिन वजह एक्टिंग नहीं, बल्कि खेल में उनकी शानदार उपलब्धियां हैं। वेदांत, जिन्होंने अभी सिर्फ 19 साल की उम्र में भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 5 गोल्ड मेडल जीत लिए हैं, बाकी स्टारकिड्स से बिल्कुल अलग हैं।
फिल्म नहीं, देश के लिए तैराक बनना है सपना
जहां अधिकतर स्टारकिड्स बॉलीवुड की चकाचौंध में कदम रखते हैं, वहीं वेदांत ने अभिनय की बजाय स्विमिंग को अपना करियर चुना है। उन्होंने मलेशियन ओपन स्विमिंग चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए 5 गोल्ड मेडल अपने नाम किए। इसके अलावा:
- दानिश ओपन में गोल्ड और सिल्वर मेडल
- लात्वियन ओपन और थाईलैंड ओपन में ब्रॉन्ज मेडल
- कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स में वे टॉप 5 में रहे
इन उपलब्धियों ने यह साबित कर दिया कि वेदांत सिर्फ एक स्टारकिड नहीं, बल्कि भारत का उभरता हुआ ओलंपिक स्टार हैं।
ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत से बनती है दिनचर्या
आर. माधवन ने एक इंटरव्यू में बताया कि उनका बेटा वेदांत एक बेहद अनुशासित जीवनशैली अपनाता है। वो रोज सुबह ब्रह्म मुहूर्त में यानी 4 बजे जागता है। माधवन के अनुसार – “सुबह का वो समय आध्यात्मिक रूप से सबसे ज्यादा ऊर्जा देने वाला होता है। वेदांत इसे लेकर बेहद जागरूक है और इसी समय का उपयोग ध्यान, अभ्यास और प्रैक्टिस के लिए करता है।”
वेदांत का सोने का समय रात 8 बजे है, ताकि वह अगली सुबह तरोताजा होकर उठ सके और अपने रूटीन को बरकरार रख सके।
स्वस्थ शरीर का राज: डाइट और अनुशासन
वेदांत की फिटनेस और ऊर्जा के पीछे उसका हाइपर-डिसिप्लिन्ड रवैया है। आर. माधवन ने बताया कि “वह सिर्फ खाना नहीं खाता, बल्कि उसे एक एक्टिव प्रोसेस की तरह लेता है। वह इस बात पर ध्यान देता है कि क्या खा रहा है, कैसे खा रहा है, कितनी मात्रा में खा रहा है और कितनी बार चबा रहा है।”
उनकी डाइट पूरी तरह बैलेंस्ड है, जो उनकी लंबाई (6 फीट 3 इंच) और स्विमिंग बॉडी को सपोर्ट करती है। वेदांत के लिए हर भोजन एक तरह से ट्रेनिंग का हिस्सा होता है।
पिता से प्रेरणा, लेकिन राह अपनी चुनी
आर. माधवन ने बताया कि वेदांत ने कभी भी फिल्मी दुनिया में आने की इच्छा नहीं जताई। उन्होंने कहा – “वो जानता है कि उसने क्या करना है। उसे एक्टिंग नहीं, देश के लिए तैरना है। और इस लक्ष्य को लेकर वो बेहद गंभीर है।”
बॉलीवुड की चकाचौंध से दूर, ओलंपिक की राह पर बेटा
जहां फिल्मी परिवारों के बच्चे आमतौर पर कैमरे की रोशनी में खुद को देखना चाहते हैं, वहीं वेदांत एक ऐसी प्रेरणा बनकर उभर रहे हैं, जो नई पीढ़ी को अनुशासन, मेहनत और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने का संदेश दे रहे हैं।
वेदांत की उपलब्धियां यह दिखाती हैं कि एक स्टारकिड होने से ज्यादा जरूरी है एक समर्पित खिलाड़ी बनना। और शायद यही बात उन्हें खास बनाती है — वो स्पॉटलाइट नहीं, मेडल्स और मेहनत से चमकना चाहते हैं।