BY: Yoganand Shrivastva
जबलपुर, सिहोरा कस्बे को जिला बनाने की लंबे समय से लंबित मांग को लेकर शुक्रवार को स्थानीय लोगों ने एक बार फिर मोर्चा खोल दिया। जबलपुर से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित सिहोरा के दर्जनों नागरिकों ने भाजपा के संभागीय कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने नेताओं को जगाने के लिए शंख, घंटे और मंजीरे बजाए और बड़े-बड़े पोस्टर भी लगाए जिन पर लिखा था – “शिवराज, स्मृति, उमा कौन हैं?”
विरोध की अनोखी शैली और नाराज़गी का इज़हार
प्रदर्शनकारियों ने शांतिपूर्वक लेकिन प्रतीकात्मक तरीके से अपना गुस्सा जताया। भाजपा कार्यालय के बाहर करीब दो घंटे तक लोग जुटे रहे। उन्होंने पुराने वादों को याद दिलाया और आरोप लगाया कि नेताओं ने केवल चुनावी फायदे के लिए सिहोरा को जिला बनाने का वादा किया, लेकिन सत्ता में आने के बाद उसे भुला दिया गया।
शंख-घंटा बजाकर सरकार को ‘जगाने’ की कोशिश
लोगों का कहना था कि यह प्रदर्शन किसी राजनीतिक एजेंडे के तहत नहीं बल्कि लंबे समय से उपेक्षित मांग को पूरा करवाने के लिए किया जा रहा है। उनके मुताबिक, अब वे वादों पर नहीं, कार्रवाई चाहते हैं। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और आश्वासन दिया कि उनकी बात सरकार तक पहुँचाई जाएगी, तब जाकर लोग शांत हुए।
नेताओं के पुराने वादों की याद दिलाई
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि बीते दो दशकों में कई बड़े नेताओं ने मंचों से सिहोरा को जिला बनाने का ऐलान किया था। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, उमा भारती, बाबूलाल गौर, शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और सांसद प्रहलाद पटेल तक शामिल हैं।
अनिल जैन नामक प्रदर्शनकारी ने कहा, “विधानसभा चुनाव के वक्त स्मृति ईरानी ने सिहोरा को जिला बनाए जाने का वादा किया था, बशर्ते भाजपा प्रत्याशी संतोष बरकड़े को जिताया जाए। अब उन्हें विधायक बने दो साल हो चुके हैं, लेकिन स्थिति जस की तस है।”
2003 की अधिसूचना भी अधूरी रह गई
प्रदर्शन में शामिल एक अन्य नागरिक कृष्ण कुमार कुरारिया ने बताया कि 2001 में तत्कालीन सीएम दिग्विजय सिंह ने सिहोरा को जिला बनाने का एलान किया था और 2003 में अंतिम अधिसूचना जारी होनी थी, लेकिन आचार संहिता लागू होने के कारण प्रक्रिया रुक गई। इसके बाद भाजपा सरकार बनी और मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
संदेश साफ – अब कोई बहाना नहीं चलेगा
प्रदर्शनकारियों ने साफ कर दिया कि अब वे चुप नहीं बैठेंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि “यदि सरकार ने सिहोरा को जिला नहीं बनाया, तो हम और भी उग्र आंदोलन करेंगे। यह हमारी पहचान, विकास और सम्मान का सवाल है।”





