BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली, भारत की जनसंख्या अगले कुछ दशकों में ऐतिहासिक मोड़ पर पहुंचेगी। संयुक्त राष्ट्र की वर्ल्ड पॉपुलेशन प्रॉस्पेक्ट्स 2024 और मैकिन्जी की नवीनतम डेमोग्राफिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या 2061 में 1.7 अरब के उच्चतम स्तर पर पहुंचेगी, जिसके बाद इसमें गिरावट आने लगेगी। हालांकि, इसके बावजूद भारत सदी के अंत तक विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बना रहेगा। अनुमान है कि 2100 तक भारत की जनसंख्या 1.5 अरब होगी, जो उस समय के चीन की जनसंख्या (63.3 करोड़) से कहीं अधिक होगी।
चीन की तुलना में भारत की स्थिति मजबूत
वर्तमान में भारत और चीन की आबादी लगभग बराबर है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की जनसंख्या में तेज गिरावट के कारण यह अंतर भविष्य में और बढ़ेगा। चीन में प्रजनन दर मात्र 1.14 है, जो जनसंख्या को बनाए रखने के लिए जरूरी 2.1 के स्तर से बहुत कम है। अनुमान है कि चीन की जनसंख्या 2100 तक 78.6 करोड़ घटकर लगभग 63.3 करोड़ रह जाएगी।
जनसंख्या में गिरावट के बावजूद भारत के सामने होंगी चुनौतियां
रिपोर्ट के अनुसार, बुजुर्गों की संख्या में वृद्धि भारत की अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाएगी।
- 2050 तक हर बुजुर्ग पर 4.6 कामकाजी व्यक्ति होंगे, जो 2100 तक घटकर केवल 1.9 रह जाएंगे।
- यह अनुपात वर्तमान जापान जैसी स्थिति की ओर इशारा करता है, जहां वृद्धों की देखरेख सरकार और परिवारों दोनों के लिए बड़ी चुनौती है।
- साथ ही, युवा आबादी द्वारा जीडीपी में योगदान भी घटेगा — जो 1997 से 2023 के बीच सालाना 0.7% था, वह 2050 तक 0.2% तक सीमित हो सकता है।
महिलाओं की भूमिका होगी अहम
भारत की महिला श्रम भागीदारी दर फिलहाल 29% (20-49 आयुवर्ग) है, जो अन्य विकासशील देशों के 50-70% के मुकाबले बहुत कम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत महिलाओं को कामकाज में अधिक शामिल करे, तो वह जनसंख्या गिरावट के नकारात्मक प्रभावों को काफी हद तक संतुलित कर सकता है।
युवा आबादी अभी भी भारत की ताकत
- 2024 में भारत की औसत आयु 28.4 वर्ष थी, जबकि चीन की 39.6 वर्ष।
- 2100 तक भारत की औसत आयु 47.8 वर्ष और चीन की 60.7 वर्ष होने की संभावना है।
- इसका मतलब है कि भारत के पास अभी भी युवा कार्यबल का लाभ उठाने का समय और अवसर मौजूद है।
जरूरी हैं रणनीतिक सुधार
रिपोर्ट के अनुसार, भारत यदि शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और तकनीकी नवाचार के क्षेत्रों में गंभीर निवेश करे, तो वह अपनी जनसांख्यिकीय स्थिति को आर्थिक लाभ में बदल सकता है।
- वैश्विक उपभोग में भारत की हिस्सेदारी 2024 में जहां 9% थी, वह 2050 तक 16% तक पहुंच सकती है।
- इसका मतलब है कि भारत वैश्विक मंच पर एक प्रभावशाली आर्थिक शक्ति के रूप में उभर सकता है।





