BY: Yoganand Shrivastva
हापुड़: उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले की धौलाना तहसील में बुधवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब घूसखोरी के आरोप में निलंबित किए गए एक लेखपाल ने परिसर के भीतर ही जहरीला पदार्थ निगल लिया। गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाए गए लेखपाल की इलाज के दौरान मौत हो गई। इस घटना ने पूरे जिले में प्रशासन और लेखपाल संघ के बीच तनाव पैदा कर दिया है।
कौन थे लेखपाल और क्या था मामला?
धौलाना तहसील में तैनात सुभाष मीणा नामक लेखपाल पर ग्रामीणों ने भूमि अभिलेख से संबंधित मामलों में रिश्वत मांगने का आरोप लगाया था। ये शिकायतें 3 जून 2025 को जन चौपाल में सामने आई थीं। तत्काल संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी हापुड़ ने लेखपाल को निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दे दिए थे। जांच की ज़िम्मेदारी एसडीएम शुभम श्रीवास्तव को दी गई थी।जांच के बाद 7 जुलाई को आरोप पत्र दाखिल किया गया, जिसमें सुभाष मीणा को दोषी ठहराया गया।
तहसील परिसर में निगला जहर
निलंबन और आरोपों से मानसिक रूप से आहत सुभाष मीणा ने बुधवार को तहसील परिसर में ही जहरीला पदार्थ खा लिया। शुरुआत में उन्हें रामा अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर उन्हें गाजियाबाद के निजी अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।इस घटना की जानकारी मिलते ही लेखपाल समुदाय में भारी नाराज़गी फैल गई। बड़ी संख्या में लेखपाल रामा अस्पताल पहुंच गए और प्रदर्शन शुरू कर दिया।
मुख्यमंत्री योगी ने दिए उच्चस्तरीय जांच के आदेश
घटना की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने तुरंत संज्ञान लिया और मेरठ मंडलायुक्त और पुलिस महानिरीक्षक को जांच के आदेश जारी किए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने स्पष्ट किया है कि मामले की निष्पक्ष और गहन जांच कराई जाएगी ताकि किसी प्रकार की प्रशासनिक लापरवाही या अनदेखी सामने आए तो उचित कार्रवाई की जा सके।
डीएम मिलने पहुंचते, उससे पहले हो गई मौत
बताया जा रहा है कि डीएम हापुड़ सुबह 10 बजे लेखपाल सुभाष मीणा से मिलने अस्पताल जाने वाले थे, लेकिन इससे पहले ही लेखपाल की मौत हो चुकी थी। इस बात से लेखपाल संघ में रोष और पीड़ा दोनों है। उन्होंने प्रशासनिक प्रक्रिया और निलंबन के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं।
गाजीपुर में भी लेखपालों पर गिरी गाज
हापुड़ की घटना के बीच एक और खबर सामने आई है — गाजीपुर जिले में 10 लेखपालों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। इन पर आरोप है कि इन्होंने असली पात्रता न रखने वाले लोगों को बीपीएल प्रमाण पत्र जारी किए, जिनका उपयोग सरकारी लाभ जैसे आंगनवाड़ी में नौकरी पाने के लिए किया गया।डीएम आर्यका अखौरी ने बताया कि इनमें से 9 नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से रोका गया है। जिलाधिकारी ने कहा, “यह प्रशासनिक धोखाधड़ी है और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।”
प्रशासन पर उठे सवाल, लेखपालों में आक्रोश
हापुड़ मामले ने उत्तर प्रदेश के राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लेखपाल संघ का कहना है कि केवल आरोपों के आधार पर तत्काल निलंबन और मानसिक उत्पीड़न कई बार जानलेवा साबित हो सकता है। वहीं, दूसरी तरफ, प्रशासन की जिम्मेदारी है कि भ्रष्टाचार जैसे मामलों में सख्त कदम उठाए जाएं।
अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री के आदेश के तहत गठित जांच समिति की रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि इस मौत के लिए कौन ज़िम्मेदार है — खुद लेखपाल या तंत्र की अनदेखी?





