मथुरा में स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर आज का दिन निर्णायक हो सकता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस बहुचर्चित मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था, जो आज सुनाया जा सकता है। यह मामला श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के विवाद से जुड़ा है, जिसमें हिंदू पक्ष ने मस्जिद को ‘विवादित ढांचा’ घोषित करने की मांग की है।
हिंदू पक्ष की दलीलें: मंदिर के साक्ष्य और ऐतिहासिक प्रमाण
प्रमुख तर्क:
हिंदू पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह एडवोकेट ने कोर्ट के समक्ष कई ऐतिहासिक तथ्यों और प्रमाणों को रखा, जिनमें शामिल हैं:
- इतिहासकारों के लेखन: मसर्रे आलम गिरी से लेकर तत्कालीन मथुरा कलेक्टर एफएस ग्राउस द्वारा लिखी गई ऐतिहासिक पुस्तकों में उल्लेख है कि वहां पहले एक मंदिर था।
- रिकॉर्ड की अनुपस्थिति:
- खसरा-खतौनी, नगर निगम रिकॉर्ड में मस्जिद का कोई उल्लेख नहीं है।
- न ही शाही ईदगाह प्रबंधन द्वारा किसी प्रकार का टैक्स दिया गया है।
- बिजली चोरी के मामले भी मस्जिद कमेटी के खिलाफ दर्ज हैं।
विशेष दावा:
महेंद्र प्रताप सिंह ने यह भी कहा कि मस्जिद की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं के प्रतीक चिह्न पाए गए हैं, जो इस स्थान के हिंदू धार्मिक महत्व को दर्शाते हैं।
विवादित ढांचे की मांग: बाबरी मस्जिद से तुलना
हिंदू पक्ष ने इस मामले की तुलना अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद से की। उनका कहना है कि:
- जैसे बाबरी मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित किया गया था, वैसे ही शाही ईदगाह मस्जिद को भी घोषित किया जाए।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वे कराने पर सच्चाई सामने आ जाएगी।
- अगर किसी भूमि पर अतिक्रमण कर निर्माण किया गया है, तो वह स्वामित्व का आधार नहीं हो सकता।
औरंगजेब और मंदिर विध्वंस का उल्लेख
महेंद्र प्रताप सिंह ने न्यायालय को बताया कि:
- कई विदेशी यात्रियों ने भी अपने यात्रा वृतांतों में यहां भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर बताया है, मस्जिद का नहीं।
- औरंगजेब द्वारा मंदिर को तोड़े जाने की बात इतिहास और मुस्लिम पक्ष भी स्वीकार करता है।
इन दलीलों के समर्थन में अन्य सभी हिंदू पक्षकार भी सामने आए, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया।
आज आ सकता है हाईकोर्ट का फैसला
महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि 4 जुलाई 2025 को कोर्ट का निर्णय आने की संभावना है। इस बीच “श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास” के बैनर तले देशभर में हिंदू चेतना यात्राएं भी चलाई जा रही हैं, जिस पर मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति जताई थी और हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र भी दायर किया था। उसका जवाब भी कोर्ट को दिया जा चुका है।
पूरे देश की नजरें फैसले पर
मथुरा की यह सुनवाई केवल एक शहर का मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर धार्मिक, ऐतिहासिक और कानूनी दृष्टि से बेहद संवेदनशील विषय बन चुकी है। हाईकोर्ट का निर्णय आज सामने आएगा, जो आने वाले समय में देशभर में गूंज पैदा कर सकता है।