BY: Yoganand Shrivastva
नई दिल्ली, हाल ही में अमेरिकी राजनीति में हलचल मचाने वाला एक नया विधेयक पारित किया गया है, जिसे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़े गर्व के साथ “वन बिग ब्यूटीफुल बिल” (OBBBA) कहकर संबोधित किया। यह कानून प्रस्ताव एक हज़ार से अधिक पृष्ठों का है और अमेरिकी प्रतिनिधि सभा द्वारा मंजूरी मिलने के बाद अब सीनेट में विचाराधीन है।
इस विधेयक का उद्देश्य क्या है?
इस विधेयक के जरिए ट्रंप प्रशासन का दावा है कि यह अमेरिका की आर्थिक स्थिति को मजबूत, रोजगार के अवसरों में वृद्धि और टैक्स प्रणाली को सरल बनाएगा। लेकिन, इसकी मूल रणनीति दो विपरीत पहलों पर टिकी हुई है:
- कर कटौती (Tax Cuts) – मध्यम वर्ग और कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए टैक्स कम करने का प्रस्ताव।
- सरकारी खर्च में बढ़ोतरी – इंफ्रास्ट्रक्चर, डिफेंस और कुछ सामाजिक योजनाओं पर अधिक फंड खर्च करने की योजना।
क्यों उठ रही हैं आलोचनाएं?
हालांकि नाम में ‘ब्यूटीफुल’ है, लेकिन आर्थिक विशेषज्ञ और नीति विश्लेषक इस बिल को लेकर गंभीर चिंताएं जता रहे हैं। इसकी प्रमुख वजहें निम्न हैं:
1. बजटीय असंतुलन
करों में कटौती और खर्चों में इज़ाफा, दोनों एक साथ करने से सरकारी घाटा और राष्ट्रीय ऋण (national debt) में तेजी से बढ़ोतरी की आशंका जताई जा रही है। इससे अमेरिका की वित्तीय स्थिरता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
2. ऋण सीमा में वृद्धि
विधेयक के तहत अमेरिका की ऋण सीमा को बढ़ाने का भी प्रस्ताव है, जो अल्पकालिक राहत तो दे सकता है, लेकिन दीर्घकालिक रूप में यह क्रेडिट रेटिंग और विदेशी निवेशकों के विश्वास को नुकसान पहुंचा सकता है।
3. पुनर्वितरण नीति (Redistribution Issues)
OBBBA में जो टैक्स कटौती प्रस्तावित है, वह मुख्यतः उच्च आय वर्ग और बड़ी कंपनियों के पक्ष में जाता दिख रहा है। जबकि, निचले और मध्यम आय वर्ग को अपेक्षाकृत कम राहत मिलती है। इससे सामाजिक-आर्थिक विषमता और अधिक बढ़ सकती है।
4. स्पष्टता की कमी
इस विधेयक की लंबाई और जटिल भाषा की वजह से कई सांसदों और नीति-विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें कई ग्रे ज़ोन हैं, जिनका लाभ लॉबिस्ट समूह उठा सकते हैं।
अब आगे क्या?
अब यह विधेयक अमेरिकी सीनेट में विचाराधीन है। चूंकि सीनेट में ट्रंप की पार्टी के पास स्पष्ट बहुमत नहीं है, इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बिल वहां कितना संशोधन झेलता है या कहीं अटक तो नहीं जाता।
अगर सीनेट और प्रतिनिधि सभा दोनों में सहमति बन जाती है, तो यह विधेयक अंततः राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून बन जाएगा।