जुलाई 2025 में लद्दाख में होगा दो दिवसीय राष्ट्रीय वर्कशॉप, हाई-एल्टीट्यूड ड्रोन टेक्नोलॉजी पर होगा फोकस
चेन्नई, 27 जून 2025 — भारत में हाई-एल्टीट्यूड (उच्च पर्वतीय क्षेत्रों) में ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अन्ना यूनिवर्सिटी और लद्दाख यूनिवर्सिटी के बीच महत्वपूर्ण साझेदारी की घोषणा हुई है। अन्ना यूनिवर्सिटी, अपने प्रसिद्ध मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (MIT) के जरिए, लद्दाख यूनिवर्सिटी को ड्रोन इनोवेशन और रिसर्च सेंटर स्थापित करने में तकनीकी सहयोग देगी।
लद्दाख यूनिवर्सिटी के कुलपति का चेन्नई दौरा
लद्दाख यूनिवर्सिटी के कुलपति साकेत खुसवाहा ने चेन्नई स्थित MIT कैंपस का दौरा किया। वहां उन्होंने डीन के. रविचंद्रन और सेंटर फॉर एयरोस्पेस रिसर्च (CASR) के डायरेक्टर के. सेंथिल कुमार से मुलाकात की। इस दौरान दोनों संस्थानों के बीच ड्रोन रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग में सहयोग को लेकर रणनीतिक चर्चा हुई।
क्या होगा इस साझेदारी में खास?
इस सहयोग के तहत अन्ना यूनिवर्सिटी, लद्दाख यूनिवर्सिटी को निम्न क्षेत्रों में मदद करेगी:
- ड्रोन निर्माण (Drone Manufacturing)
- ड्रोन पायलट ट्रेनिंग (Drone Pilot Training)
- हाई-एल्टीट्यूड में विशेष रूप से उपयोगी ड्रोन तकनीक का विकास
- सब-जीरो टेंपरेचर में काम करने वाले हल्के और बैटरी-इफिशिएंट UAVs पर फोकस
जुलाई में लद्दाख में होगा राष्ट्रीय सम्मेलन
साकेत खुसवाहा ने इस अवसर पर हायर एजुकेशन सेक्रेटरी पी. शंकर से भी मुलाकात की और उन्हें जुलाई में लद्दाख में होने वाले ड्रोन सम्मेलन में आमंत्रित किया।
- यह दो दिवसीय वर्कशॉप ‘चुनौतियां और शोध के अवसर: हाई-एल्टीट्यूड ड्रोन टेक्नोलॉजी’ विषय पर आधारित होगी।
- कार्यक्रम लद्दाख यूनिवर्सिटी के लेह कैंपस में आयोजित किया जाएगा।
- देशभर से ड्रोन विशेषज्ञ, एयरोस्पेस इंजीनियर, रक्षा प्रौद्योगिकी से जुड़े लोग और नीति निर्माता इसमें हिस्सा लेंगे।
अन्ना यूनिवर्सिटी के रिसर्च से प्रभावित हुए कुलपति
लद्दाख यूनिवर्सिटी के कुलपति ने MIT के एयरोस्पेस रिसर्च और ड्रोन टेक्नोलॉजी लैब्स का निरीक्षण किया। उन्होंने अन्ना यूनिवर्सिटी में उपलब्ध अत्याधुनिक रिसर्च सुविधाओं की सराहना की।
उनकी टीम ने वहां के विशेषज्ञों के साथ बातचीत की और निम्न रिसर्च प्रोजेक्ट्स का अवलोकन किया:
- ऑटोनॉमस नेविगेशन सिस्टम (स्वचालित दिशा-निर्देशन तकनीक)
- सर्विलांस ड्रोन के लिए पेलोड ऑप्टिमाइजेशन
- अगली पीढ़ी की डिलीवरी टेक्नोलॉजी
लद्दाख के लिए क्यों जरूरी है यह सेंटर?
लद्दाख जैसे ठंडे और दुर्गम क्षेत्रों में सामान्य ड्रोन तकनीक ठीक से काम नहीं करती। ऐसे में हल्के वजन, कम तापमान में टिकाऊ और बैटरी से चलने वाले विशेष UAVs का विकास लद्दाख की जरूरत है। यह सेंटर क्षेत्र में रक्षा, आपदा प्रबंधन और रसद सेवाओं के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।
नोट: इस महत्वपूर्ण पहल से भारत की ड्रोन टेक्नोलॉजी को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूती मिलेगी और लद्दाख जैसे चुनौतीपूर्ण क्षेत्र में भी आधुनिक टेक्नोलॉजी का विस्तार होगा।