BY: Yoganand Shrivastva
तिरुवन्नामलाई (तमिलनाडु): तमिलनाडु के अरुलमिगु रेणुगांबल अम्मन मंदिर में उस वक्त सब हैरान रह गए, जब मंदिर की दान पेटी से चार करोड़ रुपये की संपत्तियों के दस्तावेज बरामद हुए। ये दस्तावेज किसी आम श्रद्धालु ने नहीं, बल्कि भारतीय सेना के एक रिटायर्ड अफसर ने चुपचाप दान पेटी में डाल दिए थे — कारण था अपनों से मिला अपमान।
अपनों से ठुकराए गए पूर्व सैनिक का बड़ा फैसला
65 वर्षीय एस. विजयन, जो तिरुवन्नामलाई जिले के अरनी शहर के पास केशवपुरम गांव के रहने वाले हैं, सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद अपने परिवार से अलग रह रहे थे। उनकी पत्नी वी. कस्तूरी से पिछले 10 वर्षों से मतभेद चल रहे थे और दोनों बेटियां चेन्नई और वेल्लोर में बस चुकी हैं।
विजयन का कहना है कि उनकी बेटियां संपत्ति को अपने नाम करवाने का दबाव बना रही थीं और उन्हें दैनिक जरूरतों के लिए भी अपमान सहना पड़ रहा था। अंततः इससे दुखी होकर उन्होंने अपनी करोड़ों की संपत्ति को उस मंदिर को समर्पित कर दिया, जहां वे बचपन से श्रद्धा रखते आए हैं।
दान पेटी में मिले चौंकाने वाले दस्तावेज
मंगलवार को जब मंदिर प्रशासन ने हर दो माह की तरह दान पेटी को खोला, तो उसमें दो रजिस्टर्ड संपत्ति के मूल दस्तावेज और एक सहमति पत्र मिला। इन दस्तावेजों में:
- 10 सेंट जमीन
- मंदिर के पास स्थित एक आवासीय भवन
शामिल हैं, जिनकी कुल कीमत लगभग 4 करोड़ रुपये आंकी गई है।
मंदिर प्रशासन ने दी कानूनी प्रक्रिया की जानकारी
मंदिर के कार्यकारी अधिकारी एम. सिलंबरासन ने बताया कि मंदिर अपने आप किसी भी संपत्ति पर दावा नहीं कर सकता जब तक कि दस्तावेज विधिवत तौर पर रजिस्ट्रार कार्यालय या संबंधित विभाग में न दिए जाएं। उन्होंने बताया कि विजयन ने मंदिर अधिकारियों से बातचीत में कहा है कि वे जल्द ही कानूनी प्रक्रिया पूरी कर मंदिर को संपत्ति औपचारिक रूप से सौंप देंगे।
मंदिर के प्रति गहरी श्रद्धा
एस. विजयन ने कहा, “मैं बचपन से ही इस मंदिर में पूजा करता आया हूं। जब अपनों ने साथ छोड़ा तो मैंने उसी शक्ति की शरण ली जिसने मुझे हमेशा शांति दी। मैं अपने फैसले पर कायम हूं।”
नैतिक सवाल और समाज पर असर
यह घटना न सिर्फ भावनात्मक है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी है — जब माता-पिता को संतान से अपमान का सामना करना पड़े, तो वो क्या कदम उठा सकते हैं। विजयन की कहानी ने न सिर्फ श्रद्धालुओं को चौंका दिया, बल्कि पारिवारिक रिश्तों की गंभीरता और संवेदनशीलता पर भी बहस छेड़ दी है।