ग्वालियर को स्मार्ट सिटी बनाने के दावों की पोल बारिश ने खोल दी है। बीते चार दिनों में तीन सड़कों के धंसने से जहां 3 से 5 फीट गहरे गड्ढे बन गए हैं, वहीं कई इलाकों में स्ट्रीट लाइटें बंद होने से रात का सफर बेहद खतरनाक हो गया है।
मुख्य समस्याएं
- सड़कों के धंसने से हादसे का खतरा
- स्ट्रीट लाइटें बंद, अंधेरे में डूबी सड़कें
- जलभराव से बिगड़ी यातायात व्यवस्था
- नगर निगम और स्मार्ट सिटी प्राधिकरण की लापरवाही
सड़कों की स्थिति चिंताजनक
मानसून के पहले ही झटके में उजागर हुई तैयारियों की कमी
बारिश की शुरुआत होते ही शहर की नई बनी डामर सड़कें तक धंसने लगी हैं। जिन इलाकों में स्मार्ट सिटी के तहत निर्माण कार्य हुआ था, वहीं सबसे ज्यादा क्षति देखने को मिल रही है।
- तानसेन रोड: हाल ही में बनाई गई सड़क बारिश में खोदनी पड़ी क्योंकि पानी की निकासी का प्रबंध नहीं था।
- गोल पहाड़िया रोड: लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गई सड़क पिछले साल गिर चुकी थी, अब तक ठीक नहीं की गई। बस बेरिकेडिंग कर दी गई है।
- मुरार सब्जी मंडी रोड: कुछ समय पहले बनी सड़क भी सोमवार को बारिश में धंस गई। स्थानीय लोगों ने खुद ईंट और मलबा डालकर चेतावनी के संकेत लगाए।
चेतकपुरी और गणेश कॉम्प्लेक्स के पास हालात गंभीर
चेतकपुरी रोड पर पिछले चार दिन से पानी जमा है। निकासी न होने से नई बनी सड़क भी धंसक गई। पास के गणेश कॉम्प्लेक्स क्षेत्र में भी सड़क धंसने की घटना हुई। निगम ने केवल गिट्टी डालकर खानापूर्ति कर दी।
जलभराव की वजह से उभरे नए संकट
पीएचई के सहायक यंत्री केसी अग्रवाल ने बताया कि दक्षिण विधानसभा क्षेत्र में कई स्थानों पर जलभराव की समस्या सामने आई है:
- प्रभावित क्षेत्र: रामकुई पुल, बघेला मोहल्ला, श्रीराम कॉलोनी, गिर्राज कॉलोनी, नवग्रह कालोनी, कुम्हार मोहल्ला, तारागंज रोड, बंडा पुल के पास, समाधिया कॉलोनी, गड्ढे वाला मोहल्ला, सिकंदर कंपू पेट्रोल पंप, महेशपुरा, सांई विहार, वीरपुर रोड, वित्थरियों का पुरा, जनकपुरी कॉलोनी
जिम्मेदार अधिकारियों को सौंपी गई निगरानी की जिम्मेदारी
नगर आयुक्त ने जलभराव और सड़क क्षति की निगरानी के लिए विभिन्न विभागों को विशेष जिम्मेदारियां सौंपी हैं:
- मदाखलत व भवन शाखा: अपने क्षेत्रों में अवरुद्ध नाले-नालियों की पहचान और सफाई।
- स्वास्थ्य विभाग: डेयरी क्षेत्रों में नालों में गोबर बहाने वालों पर जुर्माना।
- जनकार्य, जल प्रदाय विभाग: गड्ढों को गिट्टी और मुरम से भरने की तात्कालिक व्यवस्था।
- सीवर सेल: निजी एजेंसियों से तुरंत सीवर सफाई कराना।
- फायर ब्रिगेड: जलभराव वाले क्षेत्रों से पानी निकालने के लिए संसाधन उपलब्ध कराना।
स्मार्ट सिटी का सपना या कागजी योजना?
ग्वालियर में स्मार्ट सिटी योजना के तहत हुए कार्यों की वास्तविकता मानसून में साफ हो गई है। धंसी सड़कों, अंधेरी गलियों और जलभराव ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या वास्तव में शहर स्मार्ट बन पाया है या फिर योजनाएं सिर्फ फाइलों में सजी रहीं? जनता अब जवाब चाहती है और प्रशासन को तत्काल ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।





