सोशल मीडिया पर फैल रही झूठी खबरों और भ्रामक जानकारी पर लगाम लगाने के लिए कर्नाटक सरकार अब कड़ा कानून लाने की तैयारी में है। ‘कर्नाटक मिसइन्फॉर्मेशन एंड फेक न्यूज (प्रोहिबिशन) बिल, 2025’ का ड्राफ्ट तैयार किया जा चुका है, जिसे जल्द ही राज्य की कैबिनेट बैठक में पेश किया जाएगा।
इस कानून के तहत, फेक न्यूज फैलाने वालों को भारी जुर्माने के साथ लंबी जेल की सजा भुगतनी पड़ सकती है।
बिल में क्या हैं प्रमुख प्रावधान?
1. सजा और जुर्माना:
- सोशल मीडिया पर गलत जानकारी या फेक न्यूज फैलाने पर 7 साल तक की जेल
- 10 लाख रुपये तक का जुर्माना
- दोनों सजाएं एक साथ भी दी जा सकती हैं
2. गंभीर अपराध की श्रेणी:
अगर कोई व्यक्ति ऐसा कंटेंट साझा करता है जो:
- जनस्वास्थ्य,
- सुरक्षा,
- शांति व्यवस्था
- चुनाव की निष्पक्षता को प्रभावित करता है,
तो उसे 2 से 5 साल की जेल और जुर्माना देना होगा।
3. सहयोग करने वालों पर भी सख्ती:
- जो लोग फेक न्यूज फैलाने में मदद करते हैं, उन्हें 2 साल तक की सजा हो सकती है।
मिसइन्फॉर्मेशन और फेक न्यूज क्या है ?
मिसइन्फॉर्मेशन:
- जानबूझकर या लापरवाही से फैलाई गई गलत या भ्रामक जानकारी
- इसमें राय, व्यंग्य, कला या धार्मिक प्रवचन शामिल नहीं होंगे,
जब तक उन्हें तथ्यात्मक जानकारी नहीं समझा जाए।
फेक न्यूज:
- गलत उद्धरण,
- एडिटेड ऑडियो/वीडियो,
- या पूरी तरह से बनाई गई मनगढ़ंत सामग्री
किन कंटेंट पर लगेगा प्रतिबंध?
बिल के मुताबिक, सोशल मीडिया पर ऐसे कंटेंट को पूरी तरह बैन किया जाएगा जो:
- अपमानजनक या अश्लील हो,
- महिला विरोधी या धर्म विरोधी हो,
- सनातन प्रतीकों और मान्यताओं का अपमान करता हो,
- अंधविश्वास फैलाता हो।
फेक न्यूज की निगरानी के लिए रेगुलेटरी अथॉरिटी
सरकार एक ‘फेक न्यूज ऑन सोशल मीडिया रेगुलेटरी अथॉरिटी’ बनाएगी, जिसमें होंगे:
- कन्नड़ व संस्कृति, सूचना और प्रसारण मंत्री (चेयरपर्सन)
- विधानसभा और विधान परिषद के 1-1 सदस्य
- सोशल मीडिया कंपनियों के 2 प्रतिनिधि
- 1 IAS अधिकारी (सचिव)
तेजी से सुनवाई के लिए विशेष अदालतें:
- हर जिले में विशेष कोर्ट गठित होंगे
- हर कोर्ट में एक विशेष लोक अभियोजक नियुक्त होगा
- हाईकोर्ट की हर बेंच में भी एक विशेष लोक अभियोजक होगा
क्यों जरूरी है यह कानून?
सरकार का मानना है कि:
- भारत इंटरनेट यूजर्स के मामले में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा देश है
- वर्तमान में करीब 27% आबादी इंटरनेट का इस्तेमाल करती है
- सोशल मीडिया का ग़लत इस्तेमाल अशांति, अफवाह और दंगे फैलाने में होता है
- फॉरवर्ड करने से पहले किसी भी मैसेज की सच्चाई जांचना बेहद जरूरी है
यह कानून न सिर्फ फेक न्यूज को रोकने में मदद करेगा, बल्कि सोशल मीडिया के जिम्मेदार उपयोग को भी बढ़ावा देगा।
कर्नाटक का यह प्रस्तावित कानून भारत में फेक न्यूज और मिसइन्फॉर्मेशन के खिलाफ एक बड़ी पहल है। इससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जवाबदेही बढ़ेगी और आम जनता को झूठी खबरों से बचाने में मदद मिलेगी।
जैसे-जैसे सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे इससे जुड़े खतरे भी बढ़ रहे हैं। ऐसे में यह कानून समय की जरूरत बन गया है।