दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बड़े फर्जी डिग्री रैकेट का पर्दाफाश किया है, जो कई राज्यों में फैला हुआ था। इस गिरोह के सदस्य 1.5 लाख रुपये में किसी भी कोर्स की फर्जी मार्कशीट और डिग्री उपलब्ध करवा रहे थे। पुलिस ने मौके से भारी मात्रा में नकली दस्तावेज जब्त किए हैं और पांच आरोपियों को हिरासत में लिया है।
ऑपरेशन की बड़ी बातें:
- 228 फर्जी मार्कशीट और 27 नकली सर्टिफिकेट बरामद
- रैकेट का संचालन रोहिणी, नोएडा, फरीदाबाद और अन्य शहरों से
- मुख्य आरोपी विक्की सिर्फ 10वीं पास, लेकिन कॉल सेंटर चलाकर करता था ठगी
- बीटेक, बीएमएस, बी फार्मा जैसी डिग्रियों की होती थी बिक्री
- पिछले 2 साल में 5000 से ज्यादा फर्जी डिग्रियां बेचीं
कैसे काम करता था फर्जी डिग्री सिंडिकेट?
इस रैकेट का संचालन एक संगठित तरीके से होता था, जिसमें हर सदस्य को एक खास भूमिका दी गई थी।
रैकेट का संचालन इस प्रकार होता था:
- सबसे पहले, आरोपी यह पता लगाते थे कि किस इलाके में छात्र अधिक हैं और कहां कोचिंग सेंटर्स की भरमार है।
- वहां पर किराए पर कमरा लेकर वे पैम्फलेट और पोस्टर बांटते थे।
- कुछ छात्रों को मोबाइल पर संपर्क करके उन्हें डिग्री दिलवाने का झांसा दिया जाता था।
- कई बार आरोपी फर्जी आईडी कार्ड लेकर सीधे कोचिंग सेंटर्स में पहुंचते और छात्रों से संपर्क करते।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट सीपी ने बताया कि यह गिरोह अब तक कई नामी यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियां बना चुका है। डिजिटल डेटा से यह पता चला है कि उन्होंने करीब 5000 नकली डिग्रियां तैयार की थीं।
पुलिस का कहना है कि अब इस बात की जांच की जा रही है कि इन फर्जी डिग्रियों के आधार पर किन-किन लोगों को सरकारी या निजी क्षेत्र की नौकरियां मिली हैं। यह भी जांच की जा रही है कि उनकी पोस्टिंग कहां है और वे कितने समय से नौकरी कर रहे हैं।
यह मामला एक गंभीर चेतावनी है कि फर्जी डिग्रियों का धंधा किस हद तक बढ़ चुका है और कैसे ये भविष्य बर्बाद कर सकता है। दिल्ली पुलिस की यह कार्रवाई समाज को जागरूक करने के साथ-साथ ऐसे रैकेट्स पर नकेल कसने की दिशा में बड़ा कदम है।