ग्वालियर का युवक दुबई में मृत मिला, परिवार सदमे में
मध्य प्रदेश के ग्वालियर से नौकरी की तलाश में दुबई गए जिम ट्रेनर सूरज शर्मा की रहस्यमयी परिस्थितियों में मौत हो गई है। इस खबर से मृतक का परिवार और इलाका सदमे में है। परिजनों को यह जानकारी एक महीने बाद मिली, जिसके बाद से घर में मातम का माहौल है।
सूरज की मौत की सूचना पुलिस ने दी
ग्वालियर के गोला का मंदिर थाना क्षेत्र के सैनिक कॉलोनी निवासी नितेश शर्मा को पुलिस ने सूचित किया कि उनके भाई सूरज शर्मा की 26 मई को दुबई में मौत हो चुकी है। लेकिन इस सूचना को एक महीना लग गया परिजनों तक पहुंचने में, जिससे सवाल उठने लगे हैं।
दुबई गया था नौकरी की तलाश में
परिवार के अनुसार, सूरज शर्मा पहले ग्वालियर में एक जिम ट्रेनर के रूप में कार्यरत था। व्यापार में नुकसान होने के बाद वह बेहतर नौकरी की तलाश में 18 मई को दिल्ली होते हुए यूएई रवाना हुआ था। शुरुआत में होटल में काम किया, बाद में टैक्सी चलाने की बात भी कही थी।
आखिरी बातचीत 25 मई को हुई थी
सूरज की पत्नी चेतना शर्मा ने बताया कि उनकी सूरज से आखिरी बार बात 25 मई को हुई थी। उसके बाद कोई संपर्क नहीं हुआ। चेतना ने कहा कि परिवार आर्थिक और मानसिक रूप से बेहद कमजोर है और सरकार से मदद की गुहार लगा रहा है।
परिजनों को संदेह: मौत कैसे और क्यों?
सूरज के भाई नितेश शर्मा ने सवाल उठाया कि जब मौत 26 मई को हुई थी, तो यूएई सरकार ने एक महीने तक परिवार को क्यों नहीं सूचित किया? उन्होंने इस मौत को संदिग्ध मानते हुए विवेचना की मांग की है।
सरकार से मदद की अपील
परिवार ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया है कि सूरज का शव भारत लाने में मदद करें। चेतना का कहना है कि वे खुद कुछ नहीं कर सकतीं और सरकार ही उनकी आखिरी उम्मीद है।
सूरज शर्मा के परिवार की स्थिति
- मृतक की पत्नी चेतना शर्मा
- दो छोटे बच्चे
- बुजुर्ग माता-पिता
- छोटा भाई नितेश
परिवार पूरी तरह से टूट चुका है और अपने बेटे के पार्थिव शरीर की वापसी का इंतजार कर रहा है।
अब आगे क्या?
- इंडियन एंबेसी से संपर्क किया गया है।
- विदेश मंत्रालय से भी अपील की गई है।
- परिजन चाहते हैं कि मामले की गहराई से जांच हो और सूरज की मौत के पीछे का सच सामने आए।
निष्कर्ष
सूरज शर्मा की मौत केवल एक परिवार का दुख नहीं, बल्कि उन हजारों युवाओं की हकीकत है जो विदेश जाकर जीवन संवारने का सपना देखते हैं। सरकार और संबंधित संस्थानों को इस मामले में तत्परता दिखानी चाहिए ताकि ऐसे मामलों में पारदर्शिता बनी रहे और पीड़ित परिवार को न्याय मिल सके।