BY: Yoganand Shrivastva
देवरिया (उत्तर प्रदेश): उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले से बकरीद के दिन एक दिल को झकझोर देने वाला मामला सामने आया है। एक 60 वर्षीय व्यक्ति ने परंपरागत पशु बलि की जगह खुद का गला रेतकर “कुर्बानी” दी। इस दुखद घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।
क्या है पूरी घटना?
यह मामला देवरिया के गौरीबाजार थाना क्षेत्र के उधोपुर गांव का है। यहां रहने वाले ईश मोहम्मद अंसारी ने 60 वर्ष की उम्र में एक ऐसा कदम उठाया, जिसने हर किसी को हैरान कर दिया। बकरीद के दिन जब अधिकांश लोग पारंपरिक कुर्बानी की तैयारी में लगे थे, ईश मोहम्मद ने अपने घर के पास बनी एक झोपड़ी में अकेले जाकर खुद का गला काट लिया।
करीब एक घंटे तक वह झोपड़ी में तड़पते रहे। बाद में जब घरवालों ने उनकी आवाजें सुनीं, तो उन्हें गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। लेकिन गंभीर हालत के चलते डॉक्टर उन्हें नहीं बचा सके।
गला रेतने से पहले लिखा था पत्र
इस आत्मघाती कदम से पहले ईश मोहम्मद गांव की मस्जिद गए, नमाज़ अता की और लोगों से मुलाकात भी की। इसके बाद घर लौटकर उन्होंने अल्लाह को याद किया और एक हाथ से लिखा खत तैयार किया, जिसमें उन्होंने अपने इस फैसले के पीछे का कारण बताया।
पत्र में लिखा था:
“इंसान बकरे को बेटे की तरह पालता है और फिर उसे कुर्बान करता है। वह भी एक जीव है। मुझे लगता है सच्ची कुर्बानी वह है, जो इंसान खुद दे। मैं अल्लाह के नाम पर खुद को कुर्बान कर रहा हूं। मुझे किसी ने नहीं मारा। मुझे सुकून से दफनाना। जहां खूंटा बंधा है, वहीं मेरी कब्र बनाना।”
पुलिस ने दी जानकारी
इस मामले पर देवरिया के एडिशनल एसपी अरविंद कुमार वर्मा ने बताया कि यूपी-112 पर कॉल के जरिए सूचना मिली थी कि एक व्यक्ति ने खुद को घायल कर लिया है। पुलिस और पीआरवी टीम मौके पर पहुंची और घायल ईश मोहम्मद को तत्काल इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया।
हालात गंभीर देख कर उन्हें गोरखपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। फिलहाल पुलिस मामले की विधिक जांच कर रही है और मृतक के लिखे पत्र की भी प्रामाणिकता की पुष्टि की जा रही है।
समाज और परिवार स्तब्ध
ईश मोहम्मद की इस आत्मघाती कुर्बानी से गांव में शोक की लहर है। परिजन और स्थानीय लोग स्तब्ध हैं कि एक शांत स्वभाव का व्यक्ति ऐसा कदम कैसे उठा सकता है। फिलहाल मामले को लेकर चर्चा और सवाल दोनों जारी हैं कि क्या यह आस्था की अति थी या किसी मानसिक दबाव की परिणति।