भारत के इंजीनियरिंग चमत्कारों में चिनाब ब्रिज एक ऐतिहासिक उपलब्धि बनकर सामने आया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस असंभव से दिखने वाले प्रोजेक्ट को संभव बनाने के पीछे एक महिला प्रोफेसर की अहम भूमिका रही? हम बात कर रहे हैं IISC बेंगलुरु की प्रोफेसर माधवी लता की, जिन्होंने न केवल ब्रिज का डिज़ाइन तैयार किया, बल्कि इसके निर्माण की तकनीकी चुनौतियों से भी डटकर सामना किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में इस पुल का उद्घाटन किया, जो अब दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल बन गया है।
माधवी लता: एक प्रेरणादायक सफर
शिक्षा और आरंभिक करियर
- 1992 में जवाहरलाल नेहरू टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से बी.टेक (सिविल इंजीनियरिंग)।
- NIT वारंगल से एम.टेक में गोल्ड मेडल प्राप्त किया।
- 2000 में पीएचडी पूरी की।
- 2004 में IISc बेंगलुरु से जुड़ने से पहले IIT गुवाहाटी में पढ़ाया।
वर्तमान भूमिका
- वर्तमान में IISc में सीनियर प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
- भू-यांत्रिकी (Geotechnical Engineering) और भूकंप इंजीनियरिंग में विशेषज्ञता।
सम्मान और उपलब्धियां
प्रोफेसर माधवी लता को उनकी रिसर्च और समाज में योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुके हैं:
- बेस्ट वुमन जियोटेक्निकल रिसर्चर (2021)
- टॉप वीमेन इन STEAM इंडिया (2022)
- प्रोफेसर एस.के. चटर्जी रिसर्च अवॉर्ड – IISc
- SERB POWER फेलोशिप
- कर्नाटक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स महिला अचीवर्स अवॉर्ड
IISC और चिनाब ब्रिज: टीम वर्क की मिसाल
IISC बेंगलुरु ने एक आधिकारिक पोस्ट में बताया कि:
“हमें गर्व है कि हमारे संस्थान की प्रोफेसर माधवी लता और उनकी टीम ने इस ऐतिहासिक ब्रिज के डिज़ाइन और निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाई।”
उनकी टीम ने इन चुनौतियों पर विशेष काम किया:
- ढलानों की स्थिरता सुनिश्चित करना
- नींव और खतरों के डिजाइन को ऑप्टिमाइज़ करना
- जटिल स्थलाकृति में निर्माण संबंधी रिस्क मैनेजमेंट
विशेष लेख से झलकती है संघर्ष की कहानी
28 मई 2025 को प्रकाशित एक विशेष लेख “Design as You Go: The Case Study of Chenab Railway Bridge” में उन्होंने 17 वर्षों की चुनौतियों को विस्तार से बताया। यह लेख Indian Geotechnical Journal के महिला विशेषांक में छपा, और आज के युवा इंजीनियरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुका है।
चिनाब ब्रिज की खास बातें:
📌 विवरण | आंकड़े/तथ्य |
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मुख्य मेहराब की चौड़ाई | 467 मीटर |
कुल लंबाई | 1,315 मीटर |
हवा सहन क्षमता | 266 किमी/घंटा |
ऊंचाई | एफिल टॉवर से भी ऊंचा |
तुलना | कुतुब मीनार से लगभग 5 गुना ऊंचा |
इस्पात का उपयोग | 28,000 मीट्रिक टन से अधिक |
भारत की बेटी ने रचा इतिहास
माधवी लता ने न केवल तकनीकी स्तर पर बल्कि सामाजिक स्तर पर भी महिलाओं के लिए मिसाल कायम की है। उनके योगदान ने साबित कर दिया कि अगर जुनून हो, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती। चिनाब ब्रिज न सिर्फ एक इंजीनियरिंग चमत्कार है, बल्कि भारतीय महिलाओं की क्षमता और दृढ़ निश्चय का प्रतीक भी है।