भोपाल में हाल ही में 24 घंटे के भीतर पांच लोगों ने अपनी जान लेने का दुखद कदम उठाया है। इनमें एक महिला भी शामिल है। ये घटनाएं शहर में चिंता और सूनसानपन की भावना लेकर आई हैं। पुलिस के मुताबिक, केवल एक मामले में सुसाइड नोट मिला है, जबकि अन्य मामलों में बीमारी और मानसिक दबाव को आत्महत्या के कारण माना जा रहा है।
आत्महत्या के पीछे के मुख्य कारण
- मानसिक तनाव और डिप्रेशन
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं
- आर्थिक तंगी और बेरोजगारी
- परिवारिक दुःख और मानसिक टूट
1. महिला ने बेटे की मौत के गम में लिया ये कदम
नीलबड़ क्षेत्र की 48 वर्षीय गृहिणी गीता प्रजापति ने फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। बताया जा रहा है कि वे अपने बेटे की मौत के गम से उबर नहीं पा रही थीं। उनके बेटे ने तीन महीने पहले कारोबार में घाटे के बाद आत्महत्या की थी। गीता बैतूल की रहने वाली थीं और भोपाल में अपनी दो बेटियों के साथ किराए के मकान में रह रही थीं।
2. बेरोजगारी से जूझते सचिन नागवंशी ने की आत्महत्या
ईश्वर नगर के 32 वर्षीय सचिन नागवंशी, जो एक महीने पहले अपनी नौकरी खो चुके थे, ने नशे की हालत में अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी। परिवार के अनुसार, बेरोजगारी के कारण वे मानसिक तनाव में थे।
3. मध्यम आयु वर्ग के व्यक्ति ने छोड़ा सुसाइड नोट
कोलार के आनंद पुरम (51) ने अपने घर के पीछे फांसी लगाई। वे पेशे से इलेक्ट्रिशियन थे और लगातार त्वचा की बीमारी से परेशान थे। पुलिस को घटनास्थल पर उनका सुसाइड नोट मिला है, जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया कि यह उनका खुद का फैसला था।
4. फेफड़ों की बीमारी से जूझते कृष्णा चौधरी का आत्महत्या
विकास नगर के कृष्णा चौधरी (40), जो फेफड़ों की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे, ने अपने घर में फांसी लगाई। वे एक निजी कंपनी में काम करते थे और अपनी बिगड़ती सेहत के कारण मानसिक तनाव में थे।
5. किसान राजमल यादव की स्वास्थ्य समस्याओं के कारण आत्महत्या
भैंसखेड़ा गांव, गुंगा के 50 वर्षीय किसान राजमल यादव ने अपने यार्ड में एक आम के पेड़ से फांसी लगाकर जीवन समाप्त कर लिया। उन्हें डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और पाचन संबंधी कई स्वास्थ्य समस्याएं थीं।
पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच
पुलिस इन सभी घटनाओं की गंभीरता से जांच कर रही है। आत्महत्या के कारणों की सही जानकारी जुटाने के लिए परिवारों से बातचीत की जा रही है। आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को लेकर प्रशासन भी सतर्क हो गया है।
आत्महत्या रोकथाम: क्या कर सकते हैं हम?
- मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाएं।
- तनाव और डिप्रेशन को कम करने के लिए समय-समय पर सहायता लें।
- परिवार और दोस्तों से बात करें, भावनाएं साझा करें।
- सरकारी और गैर-सरकारी हेल्पलाइन्स का सहारा लें।
- स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और नियमित चिकित्सकीय परामर्श लें।
भोपाल में आत्महत्या की ये बढ़ती घटनाएं समाज के मानसिक और सामाजिक पहलुओं पर सवाल उठाती हैं। समय रहते मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना और सहायता लेना आवश्यक है। अगर आप या आपका कोई जानकार मानसिक तनाव में है, तो तुरंत मदद मांगें।