2018 में रिलीज हुई फिल्म तुम्बाड ने दर्शकों और समीक्षकों दोनों का दिल जीत लिया। री-रिलीज के बाद इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर ₹50 करोड़ से अधिक की कमाई की, जो किसी भी हिंदी इंडिपेंडेंट फिल्म के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस फिल्म की खासियत थी इसकी असली बारिश में शूटिंग और गहरी, रहस्यमय कहानी। आइए जानते हैं इस फिल्म के पीछे की मेहनत और सफलता की कहानी।
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छह साल लगी असली बारिश में फिल्माने की मेहनत
तुम्बाड की शूटिंग में असली बारिश का बड़ा रोल था।
- टीम ने नकली बारिश का विकल्प छोड़कर पूरी फिल्म को प्राकृतिक बारिश में शूट किया।
- चार मानसून सीज़न में शूटिंग हुई ताकि सही माहौल और असली अनुभव मिल सके।
- इस कारण फिल्म की शूटिंग में कुल 6 साल लगे, जो फिल्म के लिए अभूतपूर्व था।
- सोहम शाह और पूरी टीम ने इस कठिन काम को बखूबी निभाया।
तुम्बाड की कहानी: लालच, रहस्य और मिथक
फिल्म की कहानी 1918 के महाराष्ट्र के काल्पनिक गांव तुम्बाड की है।
- विनायक राव (सोहम शाह) अपनी मां और भाई के साथ रहता है।
- बाद में वह पुणे चला जाता है, पर 15 साल बाद खजाने की तलाश में वापस तुम्बाड आता है।
- वह अपने बेटे को भी उस खजाने का रास्ता दिखाता है।
- कहानी हस्तर नाम के देवता के इर्द-गिर्द घूमती है, जो समृद्धि की देवी के पुत्र हैं।
बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार प्रदर्शन और पुरस्कार
- फिल्म का बजट था ₹5 करोड़।
- पहले रिलीज़ में ₹13 करोड़ का कलेक्शन हुआ।
- री-रिलीज के बाद कुल कमाई ₹50 करोड़ से ऊपर पहुंची।
- तुम्बाड ने फीचर फिल्म श्रेणी में नेशनल अवॉर्ड भी जीता।
- क्रिटिक्स ने फिल्म की कहानी और विजुअल्स की खूब तारीफ की।
तुम्बाड एक अनोखी फिल्म है जिसने असली बारिश में शूटिंग और गहरी कहानी के ज़रिये दर्शकों को जोड़ लिया। इसकी सफलता साबित करती है कि सही मेहनत और क्रिएटिविटी से इंडिपेंडेंट फिल्में भी बड़ी कामयाबी हासिल कर सकती हैं।