मामले का सार
- क्या हुआ? भोपाल के सेंट्रल स्कूल में आयोजित निम्न श्रेणी लिपिक (LDC) की परीक्षा में एक “सॉल्वर” (परीक्षा में बैठने वाला व्यक्ति) पकड़ा गया। यह सॉल्वर दिल्ली से 4 लाख रुपये लेकर आया था।
- गिरफ्तारी: पुलिस ने मास्टरमाइंड समेत 3 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
- बरामदगी: टैबलेट, मोबाइल, नकदी (1.5 लाख) और नकली आईडी कार्ड जब्त किए गए।
पूरी कहानी: कैसे पकड़ा गया सॉल्वर?
- बायोमैट्रिक फेल: सोनू कुमार मिश्रा (31) ने बबलेश मीणा के नाम से परीक्षा देनी चाही, लेकिन फिंगरप्रिंट मैच नहीं हुआ।
- पूछताछ में खुलासा: सोनू ने बताया कि उसे जयपुर के जसवंत मीणा ने 4 लाख में भेजा था। असली परीक्षार्थी बबलेश मीणा ने जसवंत को 10 लाख रुपये दिए थे!
- मास्टरमाइंड कौन? जसवंत मीणा प्रतियोगी परीक्षाओं का कोच है और उसके मोबाइल से मिले नंबरों से पता चल रहा है कि यह एक संगठित गैंग हो सकता है।
धांधली का बिजनेस मॉडल
- सॉल्वर: दिल्ली/पटना जैसे शहरों से पैसे लेकर परीक्षा में बैठते हैं।
- मिडिलमैन: जसवंत जैसे लोग कमीशन पर काम करते हैं।
- क्लाइंट: बबलेश जैसे उम्मीदवार नौकरी पाने के लिए लाखों खर्च करते हैं।
पुलिस की कार्रवाई
- कोर्ट में पेशी: सोनू, बबलेश और जसवंत को जेल भेज दिया गया।
- जांच के नए सुराग: जसवंत के कॉन्टैक्ट्स से और धांधली के मामले सामने आ सकते हैं।
ध्रुव राठी स्टाइल में विश्लेषण
- सिस्टम में खामी: बायोमैट्रिक सिस्टम होने के बावजूद नकली आईडी बनाने वाले सक्षम कैसे?
- मांग और आपूर्ति: सरकारी नौकरियों की हताशा ऐसे सॉल्वर बाजार को जन्म देती है।
- सवाल: क्या परीक्षा आयोजकों की लापरवाही भी जिम्मेदार है?
आगे की कार्रवाई
पुलिस जसवंत के कनेक्शनों की जांच कर रही है। संभव है, यह रैकेट और बड़ा हो!
Contents
पाठकों से सवाल:
- क्या आपको लगता है कि ऑनलाइन परीक्षाएं इस समस्या का समाधान हो सकती हैं?
- ऐसे मामलों में सजा कितनी सख्त होनी चाहिए?
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