वक्फ बोर्ड संशोधन बिल: क्या बदलाव, किसे फायदा और क्यों हो रहा विरोध ?

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Wakf Board Amendment Bill: What changes, who will benefit and why is it being opposed?

वक्फ बोर्ड में सरकार क्या बदलाव कर रही है?

BY: Vijay Nandan

दिल्ली: आज संसद में वक्फ (संशोधन) विधेयक पेश किया जाएगा। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू प्रश्नकाल के बाद दोपहर 12 बजे इसे लोकसभा में प्रस्तुत करेंगे। स्पीकर ओम बिरला ने इस विधेयक पर चर्चा के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किया है, जिसमें से सत्तारूढ़ एनडीए को 4 घंटे 40 मिनट और विपक्ष को शेष समय दिया गया है। ​

सरकार द्वारा प्रस्तावित वक्फ बोर्ड संशोधन बिल में कई अहम बदलाव किए जा रहे हैं। इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता बढ़ाना, इनके बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करना और भ्रष्टाचार को रोकना है।

  1. वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण: सरकार सभी वक्फ संपत्तियों को डिजिटली रिकॉर्ड करने की प्रक्रिया को अनिवार्य बना रही है, जिससे अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जा सके।
  2. वक्फ संपत्तियों की निगरानी: संशोधन के तहत वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के रखरखाव और उपयोग पर सरकार अधिक निगरानी रखेगी।
  3. वित्तीय पारदर्शिता: वक्फ बोर्ड की वित्तीय गतिविधियों को अधिक पारदर्शी बनाने के लिए एक स्वतंत्र ऑडिटिंग प्रणाली लागू करने की योजना है।
  4. सुपरवाइजर पैनल का गठन: बोर्ड की मनमानियों को रोकने के लिए एक स्वतंत्र निरीक्षण समिति का गठन किया जाएगा।

गरीब पसमांदा मुसलमानों को क्या फायदा होगा?

  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार: वक्फ संपत्तियों से मिलने वाली आमदनी को सही तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे गरीब मुस्लिम समुदाय के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर होंगी।
  • अवैध कब्जों से मुक्ति: वक्फ संपत्तियों पर राजनीतिक प्रभाव और माफियाओं के अवैध कब्जे को खत्म करने का प्रयास किया जाएगा, जिससे इन संपत्तियों का सही उपयोग संभव होगा।
  • बेहतर रोजगार के अवसर: यदि वक्फ की संपत्तियों का सही प्रबंधन हो तो इससे रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न किए जा सकते हैं।

वक्फ बोर्ड की कौन-कौन सी मनमानियों को इस संशोधन से खत्म किया जा रहा है?

  1. बेनामी संपत्तियों का खेल: वक्फ बोर्ड से जुड़ी कई संपत्तियाँ ऐसी हैं, जिनका सही रिकॉर्ड नहीं है। इस बिल से बेनामी संपत्तियों की पहचान संभव होगी।
  2. भ्रष्टाचार पर अंकुश: कई मामलों में वक्फ बोर्ड के अधिकारी संपत्तियों को निजी स्वार्थ में बेचते या लीज़ पर देते रहे हैं। इस संशोधन के जरिए इन पर नियंत्रण किया जाएगा।
  3. राजनीतिक हस्तक्षेप को कम करना: वक्फ बोर्ड अक्सर राजनीतिक दलों के प्रभाव में काम करता है, जिससे वास्तविक लाभार्थी तक संसाधन नहीं पहुंचते।

वक्फ के पास कुल कितनी संपत्ति है?

भारत में वक्फ संपत्तियों की संख्या लाखों में है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वक्फ बोर्ड के पास लगभग 6 लाख एकड़ जमीन है, जिसकी अनुमानित कीमत 15-20 लाख करोड़ रुपये आंकी जाती है। यह देश के सबसे बड़े ज़मीनी मालिकों में से एक है।

हर साल वक्फ बोर्ड की कुल कितनी आय होती है?

वक्फ बोर्ड की संपत्तियों से होने वाली आय का कोई निश्चित सार्वजनिक आंकड़ा नहीं है, लेकिन यह अनुमान है कि हर साल इससे हजारों करोड़ रुपये की आय हो सकती है। हालांकि, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन के कारण यह आय ठीक से इस्तेमाल नहीं हो पाती।

वक्फ बोर्ड कहां-कहां दखल रखता है?

वक्फ बोर्ड धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक कार्यों में अहम भूमिका निभाता है। इसके अंतर्गत मस्जिदें, कब्रिस्तान, मदरसे, अनाथालय, अस्पताल और अन्य धार्मिक-सामाजिक संस्थान आते हैं।

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसका विरोध क्यों कर रहा है?

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कुछ अन्य मुस्लिम संगठनों का मानना है कि सरकार वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कम करने की कोशिश कर रही है। उनका तर्क है कि यह बिल सरकार को वक्फ संपत्तियों पर अधिक नियंत्रण देने की दिशा में एक कदम है, जो धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ाएगा।

इस बिल पर राजनीति क्यों हो रही है?

  • सरकारी नियंत्रण बनाम मुस्लिम स्वायत्तता: विपक्षी दलों का आरोप है कि सरकार इस बिल के जरिए वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है।
  • पसमांदा बनाम अशराफ डिबेट: पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों का कहना है कि इस बिल से उनके हक में बदलाव हो सकता है, जबकि अशराफ (उच्चवर्गीय मुसलमान) इसे एक राजनीतिक कदम बता रहे हैं।
  • भाजपा बनाम अन्य दल: भाजपा सरकार जहां इसे पारदर्शिता की दिशा में एक बड़ा कदम बता रही है, वहीं कांग्रेस और अन्य दल इसे मुस्लिम समाज के मामलों में दखल मान रहे हैं।

वक्फ बोर्ड को लेकर सच्चर कमेटी की रिपोर्ट क्या थी?

कांग्रेस भले ही आज वक्फ संशोधन का बिल का विरोध कर रही हो, लेकिन सच्चर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सौंपी थी। यह कमेटी 2005 में गठित की गई थी और इसका मुख्य उद्देश्य भारत में मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का अध्ययन करना था।

सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में वक्फ संपत्तियों को मुस्लिम समुदाय के विकास के लिए उपयोग न किए जाने पर चिंता जताई गई थी। रिपोर्ट के अनुसार:

  • वक्फ की संपत्तियों का ठीक से उपयोग नहीं हो रहा
  • इनसे मिलने वाली आय अपेक्षाकृत कम है
  • अगर इनका सही उपयोग किया जाए तो मुस्लिम समुदाय के आर्थिक हालात में बड़ा सुधार आ सकता है

वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक का संसद में ये विपक्षी दल कर रहे विरोध

प्रमुख विरोधी दल और उनके नेताओं की प्रतिक्रियाएँ इस प्रकार हैं:

  • कांग्रेस: पार्टी के नेताओं का कहना है कि यह विधेयक संविधान के खिलाफ है और सरकार वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती है।
  • समाजवादी पार्टी (सपा): अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा वक्फ बोर्ड संशोधन के बहाने जमीन हथियाना चाहती है और इसे रियल एस्टेट कंपनी की तरह चला रही है।
  • तृणमूल कांग्रेस (TMC): पार्टी ने इसे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए असंवैधानिक करार दिया है।
  • ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM): असदुद्दीन ओवैसी ने इस विधेयक को धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बताया और कहा कि यह मुसलमानों के खिलाफ है और मस्जिदों व दरगाहों पर कब्जे की कोशिश है।
  • डीएमके: पार्टी का कहना है कि यह विधेयक अनुच्छेद 25 और 26 के खिलाफ है और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन करता है।
  • राष्ट्रीय जनता दल (RJD): पार्टी का कहना है कि विपक्षी गठबंधन इस विधेयक का विरोध करेगा और सरकार को पहले अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।
  • रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP): पार्टी ने इसे मुस्लिमों को निशाना बनाने वाला विधेयक बताया और इसके न्यायपालिका में टिकने पर सवाल उठाए।
  • इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML): इस विधेयक के तहत कलेक्टर को दिए गए अधिकारों पर आपत्ति जताई गई है और इसे धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ बताया गया है।

इन दलों के अलावा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)] और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के नेताओं ने भी विधेयक का विरोध किया है, इसे संविधान और संघीय ढांचे के खिलाफ बताया है।

विपक्षी दलों का मुख्य तर्क है कि यह विधेयक वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता को कम करता है, अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों का उल्लंघन करता है और संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों के खिलाफ है।

गठबंधन/पार्टी का नामघटक दलों की संख्यालोकसभा सीटें
एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन)41293
भाजपा (भारतीय जनता पार्टी)1240
जद(यू) (जनता दल यूनाइटेड)112
तेलुगु देशम पार्टी (TDP)116
शिवसेना (शिंदे गुट)17
लोजपा (रामविलास गुट)15
जन सेना पार्टी (JSP)12
अन्य छोटे दल3511
कुल41293

लोकसभा में वोटिंग के दौरान विपक्ष (इंडी गठबंधन ) की स्थिति

लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामों के अनुसार, विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (INDIA) के प्रमुख घटक दलों और उनकी लोकसभा सीटों की संख्या निम्नानुसार है:

पार्टी का नामलोकसभा सीटें
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC)99
समाजवादी पार्टी (SP)37
तृणमूल कांग्रेस (TMC)29
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK)22
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट)9
राष्ट्रीय जनता दल (RJD)5
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPI(M)]3
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI)2
नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC)3
झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)3
विदुथलाई चिरुथैगल काची (VCK)2
इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML)3
केरल कांग्रेस (M)1
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP)1
ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक (AIFB)1
जनता दल (सेक्युलर) [JD(S)]1
अन्य सहयोगी दल एवं निर्दलीय12
कुल234

INDIA गठबंधन में कुल 37 पार्टियाँ शामिल हैं।
इन आंकड़ों के अनुसार, INDIA गठबंधन ने लोकसभा की कुल 543 सीटों में से 234 सीटें जीतीं।

वक्फ बोर्ड संशोधन बिल को लेकर मुस्लिम समाज में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। पसमांदा मुस्लिम इसे पारदर्शिता और न्याय का जरिया मान रहे हैं, जबकि कुछ धार्मिक संगठन इसे सरकारी हस्तक्षेप का प्रयास बता रहे हैं। सरकार का दावा है कि इस बिल से वक्फ संपत्तियों का सही उपयोग होगा और इससे गरीब मुस्लिमों को सीधा फायदा मिलेगा। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बिल संसद में पारित होने के बाद जमीनी स्तर पर कितना प्रभाव डालता है।

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