कांग्रेस बोली बिहार उत्सव मनाने का कोई औचित्य नहीं, ये केवल चुनावी एजेंडा है।
रायपुर: छत्तीसगढ़ में इस साल सरकारी स्तर पर बिहार दिवस मनाया जा रहा है, जो राजनीतिक हलकों में गर्मा-गर्मी का कारण बन चुका है। यह कार्यक्रम एक भारत श्रेष्ठ भारत के तहत आयोजित किया जा रहा है, जिसमें भिलाई समेत पांच जिलों में बिहार स्थापना दिवस मनाने की योजना है। खास बात यह है कि इस आयोजन में छत्तीसगढ़ बीजेपी के प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन, जो बिहार से आते हैं और बिहार में मंत्री हैं, बतौर चीफ गेस्ट शामिल होंगे। कार्यक्रम के दौरान प्रवासी बिहारी समाज के सफल व्यक्तियों को सम्मानित किया जाएगा।
कांग्रेस का विरोध: बिहार दिवस का आयोजन क्यों?
कांग्रेस ने इस आयोजन को लेकर कड़ी आलोचना की है। पूर्व मंत्री उमेश पटेल ने बिहार स्थापना दिवस को बीजेपी का चुनावी प्रोपेगेंडा बताया। उनका कहना था कि “छत्तीसगढ़ में बिहार के स्थापना दिवस का आयोजन का कोई औचित्य नहीं है।” उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी छत्तीसगढ़ की संस्कृति और लोगों से कोई लेना-देना नहीं रखती, बल्कि सिर्फ अपने हाई कमान को खुश करने की कोशिश कर रही है। उमेश पटेल ने यह भी कहा कि “बीजेपी चुनावों से पहले इस तरह के प्रचार अभियानों की शुरुआत कर देती है।”
क्रांति सेना का हमला: छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर सवाल
क्रांति सेना के प्रमुख अमित बघेल ने इस आयोजन को लेकर तीखा हमला किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए बीजेपी पर आरोप लगाया कि “छत्तीसगढ़ के नाबालिगों को बिहार ले जाकर गलत कामों में फंसाने का काम किया गया है।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि “क्या छत्तीसगढ़ को बर्बाद करने का बीजेपी का इरादा है?” उनका आरोप था कि “बीजेपी शराब की दुकानें खोल रही है और प्रदेश को बर्बाद करने की योजना बना रही है।”
बीजेपी की प्रतिक्रिया: सभी जातियों का सम्मान
कांग्रेस और क्रांति सेना के इस विरोध पर बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि “नितिन नबीन बिहार के मंत्री और छत्तीसगढ़ के प्रभारी हैं, और उन्होंने अन्य राज्यों में भी प्रभारी के रूप में काम किया है।” केदार कश्यप ने यह सवाल किया कि “अगर छत्तीसगढ़ में बिहार दिवस मनाने पर विपक्ष को आपत्ति है तो इसका कारण क्या है?” उन्होंने कहा कि “बीजेपी सरकार सभी जातियों और धर्मों का सम्मान करती है, और विपक्ष सिर्फ जनता को बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रहा है।”
राजनीतिक बहस का मुद्दा: चुनावी रणनीति?
बिहार दिवस का आयोजन अब सिर्फ एक सांस्कृतिक कार्यक्रम न होकर राजनीतिक बहस का मुद्दा बन गया है। छत्तीसगढ़ में बिहार दिवस के आयोजन को लेकर बढ़ते विवाद को आगामी विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। इस साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, और इस आयोजन को बीजेपी की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, जो बिहारी मूल के मतदाताओं को अपने पक्ष में लाने का प्रयास कर रही है।
सांस्कृतिक से राजनीति तक
बीजेपी के इस आयोजन को एक भारत श्रेष्ठ भारत के अभियान के तहत पूरी देश में मनाए जा रहे स्थापना दिवसों का हिस्सा माना जा रहा है। लेकिन बिहार दिवस का आयोजन अब सिर्फ सांस्कृतिक कार्यक्रम के बजाय राजनीति का एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है, और आगामी चुनावों के परिप्रेक्ष्य में इस पर बहस और तीव्र हो सकती है।
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