नीमच, मध्यप्रदेश: जनसुनवाई में न्याय की गुहार लगाना एक 70 वर्षीय बुजुर्ग किसान को भारी पड़ गया। एसडीएम से ऊंची आवाज में बात करने पर पुलिस ने उन्हें थाने ले जाकर छह घंटे तक हिरासत में रखा। यह घटना न केवल प्रशासन की संवेदनहीनता को दर्शाती है बल्कि मध्यप्रदेश सरकार के सुशासन के दावों पर भी सवाल खड़े करती है।

क्या है पूरा मामला?
घटना नीमच जिला मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर ग्राम अडमालिया की है। किसान जगदीशदास बैरागी अपनी जमीन के सीमांकन और बंटवारे को लेकर पिछले कई महीनों से परेशान थे। उन्होंने कलेक्टर ऑफिस, तहसीलदार और एसडीएम से कई बार न्याय की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
हताश होकर उन्होंने मंगलवार को जनसुनवाई में एसडीएम संजीव साहू के सामने अपनी पीड़ा रखी। जब एसडीएम ने ध्यान नहीं दिया तो किसान ने थोड़ी ऊंची आवाज में अपनी बात कही। यह बात प्रशासन को नागवार गुजरी और एसडीएम ने पुलिस को उन्हें हिरासत में लेने का आदेश दे दिया। पुलिस उन्हें जबरदस्ती बाइक पर बैठाकर नीमच कैंट थाने ले गई और वहां करीब छह घंटे तक रखा।

भूखे-प्यासे थाने में रखा, फिर छोड़ा
पीड़ित किसान जगदीशदास बैरागी ने बताया कि थाने में न तो उसे खाना दिया गया और न ही पानी। शाम छह बजे उसे बिना किसी आरोप के छोड़ दिया गया। किसान ने बताया कि वह पैदल आठ किलोमीटर चलकर गांव रेवली देवली तक पहुंचा और फिर बस से नीमच लौटा।
प्रशासन ने झाड़ा पल्ला
जब मामला सामने आया तो एसडीएम संजीव साहू ने थाने में ले जाने की जानकारी से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि बुजुर्ग का मामला तहसील न्यायालय में चल रहा है और तहसीलदार को नियमानुसार कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
वहीं, नीमच कैंट थाना प्रभारी पुष्पा चौहान ने भी किसी बुजुर्ग को थाने में बैठाने की जानकारी होने से इनकार कर दिया।
नीमच कलेक्टर हिमांशु चंद्रा ने कहा कि जनसुनवाई में इस प्रकार की घटना की जानकारी नहीं है, लेकिन जांच करवाई जाएगी।
प्रशासन की संवेदनहीनता उजागर
यह घटना प्रशासन की लापरवाही और संवेदनहीनता को उजागर करती है। जहां एक बुजुर्ग किसान अपने हक के लिए संघर्ष कर रहा था, वहीं उसे न्याय देने की बजाय पुलिस हिरासत में डाल दिया गया। क्या जनसुनवाई में अपनी बात रखना भी अपराध है? यह सवाल अब पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है।
मथुरा: हैरान करने वाला इलाज: युवक ने यूट्यूब देखकर खुद किया पेट का ऑपरेशन