पारंपरिक शुरुआत और मुख्यमंत्री का उद्घाटन
Gwalior: विश्वविख्यात तानसेन समारोह पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ शुरू हो गया। सोमवार सुबह तानसेन समाधि स्थल पर हरिकथा, मिलाद, शहनाई वादन और चादरपोशी की गई। शाम को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने वर्चुअल माध्यम से समारोह का औपचारिक उद्घाटन किया और सभी संगीत साधकों को शुभकामनाएं दीं।
सम्मान और संस्कृति का संगम

समारोह में मुंबई के शास्त्रीय गायक पंडित राजा काले को वर्ष 2024 और कोलकाता के प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित तरुण भट्टाचार्य को वर्ष 2025 के राष्ट्रीय तानसेन अलंकरण से सम्मानित किया गया। वहीं मंडलेश्वर की साधना परमार्थिक संस्थान समिति को वर्ष 2024 तथा ग्वालियर की रागायन संगीत समिति को वर्ष 2025 का राजा मानसिंह तोमर सम्मान प्रदान किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि तानसेन के सुरों ने ग्वालियर को वैश्विक पहचान दिलाई है।
भव्य मंच और आयोजन की गरिमा

तानसेन समाधि परिसर में ऐतिहासिक चतुर्भुज मंदिर की थीम पर बनाए गए भव्य मंच से समारोह का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृति मंत्री धर्मेन्द्र सिंह लोधी ने की। उन्होंने कहा कि तानसेन समारोह पिछले 101 वर्षों से भारतीय शास्त्रीय संगीत की आत्मा और स्वर साधना की निरंतर यात्रा का प्रतीक है।
आज के कार्यक्रम
प्रातः 10 बजे भारतीय संगीत महाविद्यालय, ग्वालियर में ध्रुपद गायन का आयोजन होगा। इसके बाद सुनील पावगी द्वारा हवाईयन गिटार, रीतेश और रजनीश मिश्र का युगल गायन तथा घनश्याम सिसौदिया द्वारा सारंगी वादन प्रस्तुत किया जाएगा।
शाम 6 बजे ध्रुपद केंद्र, ग्वालियर में ध्रुपद गायन होगा। इसके बाद पद्मविभूषण अमजद अली खान अपने पुत्र अमान और अयान अली खान के साथ सरोद जुगलबंदी प्रस्तुत करेंगे। साथ ही रसिका गावड़े और पद्मश्री सुमित्रा गुहा की शास्त्रीय गायन प्रस्तुतियां होंगी।





