रिपोर्ट: हिमांशु प्रियदर्शी
झारखंड में सियासी समीकरण तेजी से बदलते दिख रहे हैं और सूत्रों के अनुसार सत्ता में बैठी झारखंड मुक्ति मोर्चा कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़कर भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिला सकती है, हालांकि दोनों दलों ने इस पर आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। झारखंड विधानसभा की कुल 81 सीटों में बहुमत के लिए 41 सीटें चाहिए, जबकि वर्तमान में जेएमएम के 34, कांग्रेस के 16, राजद के 4 और भाकपा माले के 2 विधायक हैं, वहीं विपक्ष में एनडीए के कुल 25 विधायक हैं जिनमें 21 सिर्फ भाजपा के हैं। ऐसे में यदि जेएमएम कांग्रेस का साथ छोड़ भाजपा से गठबंधन कर लेती है तो वह आसानी से सरकार बना सकती है। बिहार चुनाव में महागठबंधन द्वारा हेमंत सोरेन को सम्मानजनक सीटें न दिए जाने के बाद से ही इस बदलाव के कयास लगाए जा रहे थे। सूत्रों के मुताबिक हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी मानती हैं कि भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाना उनके लिए कई मायनों में बेहतर होगा, जैसे डबल इंजन की सरकार से विकास परियोजनाओं को गति मिलेगी और हेमंत सोरेन के खिलाफ चल रहे मामलों में भी राहत की संभावना बढ़ेगी। भाजपा भी लंबे समय से झारखंड में सरकार बनाने को इच्छुक है और जेएमएम का समर्थन मिलने पर न केवल राज्य में सत्ता हासिल कर सकती है बल्कि बंगाल चुनाव में भी इसका लाभ उठा सकती है, क्योंकि सीमावर्ती इलाकों में बड़ी संख्या में आदिवासी मतदाता हैं जिन पर हेमंत सोरेन का प्रभाव माना जाता है। इसी बीच यह भी चर्चा है कि कल्पना सोरेन को राज्यसभा भेजकर उन्हें एनडीए मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है।





