रिपोर्ट- प्रवीण पटेल
सोनभद्र: ओबरा की श्री कृष्णा माइनिंग पत्थर खदान में हुए भयावह हादसे के बाद लगातार 72 घंटे तक चले रेस्क्यू अभियान को मंगलवार को खत्म कर दिया गया। जिला प्रशासन ने पुष्टि की है कि मलबे से कुल सात मजदूरों के शव बरामद हो चुके हैं और अब किसी अन्य व्यक्ति के दबे होने की संभावना नहीं है। डीएम बी.एन. सिंह और एसपी अभिषेक वर्मा ने राहत-बचाव कार्य समाप्त करने की औपचारिक घोषणा की।
कैसे हुआ हादसा?
शनिवार दोपहर करीब ढाई बजे खदान में ड्रिलिंग का कार्य चल रहा था। अचानक ऊपर की पहाड़ी पर स्थित एक विशाल चट्टान टूटकर नीचे गिर पड़ी और भारी मात्रा में मलबा मजदूरों के ऊपर आ गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार घटना के समय खदान में 18 मजदूर काम कर रहे थे, जिनमें से 15 के मलबे में दबे होने की आशंका जताई जा रही थी।
हालाँकि आधिकारिक तौर पर सात मजदूरों के शव बरामद किए गए हैं।

72 घंटे का कठिन रेस्क्यू
हादसे की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन, पुलिस, फायर ब्रिगेड और आपदा प्रबंधन की टीमें मौके पर पहुँच गईं। खदान की कठोर चट्टानी संरचना और गहराई तक फैले मलबे के कारण राहत कार्य चुनौतीपूर्ण रहा।

बचाव अभियान को तेज करने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सीआईएसएफ ओबरा की संयुक्त टीमें लगातार तीन दिनों तक मलबा हटाने में लगी रहीं। मशीनरी और विशेषज्ञों की सहायता से खदान के हर हिस्से की गहन तलाशी ली गई।
डीएम बी.एन. सिंह ने बताया कि “15 तारीख से लगातार रेस्क्यू कार्य चलाया गया। आज 18 तारीख को सातों शवों को सुरक्षित निकालने के बाद अभियान को समाप्त कर दिया गया है। अब किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के दबे होने की संभावना नहीं बची है।”
एसपी अभिषेक वर्मा ने भी राहत-बचाव कार्य की समाप्ति की पुष्टि की।
यह घटना खदान सुरक्षा मानकों पर सवाल खड़े करती है। मजदूरों की सुरक्षा, खनन क्षेत्र की निगरानी और ड्रिलिंग से पहले सुरक्षा आकलन जैसे मुद्दों पर गंभीर चर्चा शुरू हो गई है। स्थानीय स्तर पर खदान संचालकों की कार्यशैली की भी जांच की मांग उठ रही है।





