बिहार: विधानसभा चुनाव में भारी पराजय के बाद कांग्रेस ने शनिवार को दिल्ली में पहली बड़ी समीक्षा बैठक की। यह बैठक कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर आयोजित हुई, जिसमें राहुल गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और वरिष्ठ नेता अजय माकन भी शामिल हुए। बैठक में नेताओं ने चुनाव परिणामों पर विस्तृत चर्चा की, कमियों की पहचान की और आगे की रणनीति के लिए सुझाव दिए। पार्टी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस इस बात की समीक्षा कर रही है कि बिहार में उसे इतनी बड़ी हार क्यों झेलनी पड़ी।
कांग्रेस का आरोप—चुनाव में गड़बड़ी हुई, दो सप्ताह में पेश होंगे सबूत
बैठक के बाद कांग्रेस नेताओं ने दावा किया कि बिहार चुनाव प्रक्रिया में व्यापक अनियमितताएँ हुईं।
केसी वेणुगोपाल ने कहा—
“हमारे पास कई सबूत हैं, जिन्हें इकट्ठा किया जा रहा है। दो सप्ताह में देश के सामने रखेंगे।”
कांग्रेस इस बार 60 सीटों पर लड़ी और सिर्फ 6 सीटें जीत पाई। वोट शेयर भी घटकर 8.71% रह गया। साल 2020 में पार्टी ने 70 सीटों पर चुनाव लड़कर 19 सीटें हासिल की थीं और 9.6% वोट प्राप्त किए थे।
अजय माकन बोले—“कई स्तरों पर गड़बड़ी, ऐसे नतीजे असामान्य”
बैठक के बाद अजय माकन ने चुनाव नतीजों पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा—
“चुनाव प्रक्रिया को लेकर शुरू से सवाल थे। बीजेपी का इतना बड़ा स्ट्राइक रेट अभूतपूर्व है। कार्यकर्ताओं से लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि कई जगह अनियमितताएँ हुईं।”
उन्होंने बताया कि महागठबंधन के अन्य दल भी इस हार को “अप्रत्याशित” मानते हैं और जांच की मांग कर रहे हैं।
महागठबंधन की हार के प्रमुख कारण
1. CM फेस और सीट बंटवारे पर शुरू से असहमति
महागठबंधन पूरे चुनाव में एकमत नहीं दिखा। तेजस्वी यादव को CM फेस घोषित करने पर पहले कांग्रेस और RJD में असहमति रही। बाद में कांग्रेस मान भी गई, लेकिन तब तक गठबंधन में मतभेद का संदेश जनता तक पहुँच चुका था।
2. अंतिम समय तक टिकट बंटवारे में खींचतान
पहले चरण के नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन तक सीट शेयरिंग पर विवाद चलता रहा।
RJD 146, कांग्रेस 59, VIP 13, CPI-ML 20, CPI 7, CPM 4 और IIP 2 सीटों पर चुनाव लड़ी।
241 सीटों पर महागठबंधन के 250 उम्मीदवार मैदान में थे।
कई जगह अलग-अलग दलों के उम्मीदवार एक-दूसरे के सामने उतर गए, जिससे वोट बंट गया।
9 सीटों पर महागठबंधन ने खुद ही अपने वोट काटे — सभी जगह हार
जहाँ गठबंधन की पार्टियों ने एक-दूसरे के सामने उम्मीदवार उतारे, वहां वे सभी सीटें हार गए। कुछ उदाहरण—
- बछवाड़ा (बेगूसराय)
- कांग्रेस: शिवप्रकाश
- CPI: अवधेश कुमार राय
- BJP के सुरेंद्र मेहता 15,593 वोट से जीते
- कांग्रेस+सीपीआई के संयुक्त वोट BJP से अधिक थे
- बिहार शरीफ (नालंदा)
- कांग्रेस: उमैर खां
- CPI: शिवकुमार
- BJP के डॉ. सुनील कुमार ने 29,168 वोट से जीत दर्ज की
- राजापाकर (वैशाली)
- कांग्रेस: प्रतिमा
- CPI: मोहित पासवान
- JDU के महेंद्र राम 48,189 वोट से जीते
- वैशाली सीट
- कांग्रेस: संजीव कुमार
- RJD: अजय कुशवाहा
- JDU के सिद्धार्थ पटेल 32,590 वोट से जीते
- सिकंदरा (जमुई)
- RJD: उदय नारायण चौधरी
- कांग्रेस: विनोद चौधरी
- HAM के प्रफुल्ल मांझी 23,907 वोट से जीते
- कहलगांव (भागलपुर)
- RJD: रजनीश भारती
- कांग्रेस: प्रवीण कुशवाहा
- JDU के शुभानंद मुकेश 50,112 वोट से विजयी
- सुल्तानगंज
- कांग्रेस: ललन कुमार यादव
- RJD: चंदन कुमार सिंह
- JDU के ललित नारायण मंडल 31,136 वोट से जीते
- करगहर (रोहतास)
- कांग्रेस: संतोष मिश्रा
- CPI-ML: महेंद्र साहू
- JDU के वशिष्ठ सिंह 35,365 वोट से विजयी
- चैनपुर (कैमूर)
- RJD: ब्रजकिशोर बिंद
- VIP: बलगोविंद बिंद
- JDU के जमा खान 8,362 वोट से जीते





