जनजातीय समाज के रोग एवं होम्योपैथी की भूमिका पर विशेषज्ञों ने रखे विचार
इंदौर। श्रीमती कमला बेन रावजी भाई पटेल गुजराती होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, इंदौर में जनजातीय गौरव दिवस के उपलक्ष्य में “जनजातीय समाज में प्रचलित बीमारियाँ एवं उनके उपचार” विषय पर विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. एस. पी. सिंह ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. ए. के. द्विवेदी उपस्थित रहे।
मुख्य वक्ता डॉ. ए. के. द्विवेदी ने जनजातीय समाज में व्यापक रूप से पाई जाने वाली बीमारियों—एनीमिया, कुपोषण, मलेरिया, टी.बी. तथा विशेष रूप से सिकल सेल रोग—पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि देश की लगभग 8–9 प्रतिशत जनसंख्या जनजातीय समाज से है, जहाँ स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण कई गंभीर रोग अधिक व्यापक हैं।
उन्होंने कहा कि होम्योपैथी इन बीमारियों में राहत प्रदान करने के साथ-साथ रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। सिकल सेल रोग में Ferrum Phos, Ceanothus, China एवं Arsenicum Album जैसी औषधियों से दर्द, एनीमिया और थकान में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है।
प्राचार्य डॉ. एस. पी. सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि जनजातीय समाज की उन्नति और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए सभी को मिलकर निरंतर प्रयास करने होंगे। उन्होंने शिक्षकों, छात्रों एवं चिकित्सा कर्मियों से इस दिशा में सक्रिय योगदान देने का आह्वान किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुपम श्रीवास्तव ने किया। उन्होंने विभिन्न जनजातीय नायकों के स्वतंत्रता आंदोलन में दिए गए योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि जनजातीय समाज की विरासत, साहस तथा बलिदान भारत के इतिहास का गौरवपूर्ण अध्याय है।
कार्यक्रम में डॉ. मनोज बगुल और डॉ. कुशल पारिख ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वहीं, कार्यक्रम की सफल व्यवस्था में डॉ. राजेश बोर्डिया, डॉ. अंजली निगम, डॉ. शिखा शर्मा तथा डॉ. चेतना शाह का विशेष योगदान रहा।
कार्यशाला में शिक्षकों, मेडिकल ऑफिसर्स, स्टाफ सदस्यों, छात्रों एवं इंटरनी ने बड़ी संख्या में भाग लिया।





