concept@writer: Yoganand Shrivastva
दुनिया में बहुत सी जगहें रहस्य से भरी हैं, लेकिन अगर कोई एक जगह है जिसे पृथ्वी की सबसे सुरक्षित, सबसे अभेद्य और सबसे रहस्यमय जगह कहा जाए — तो वह है अमेरिका का “फोर्ट नॉक्स” (Fort Knox)। केंटकी राज्य के एक छोटे से शहर में स्थित यह विशाल सैन्य किला है, जिसके भीतर छुपा है लगभग 46 लाख किलो यानी करीब 2,60,000 सोने की ईंटों का भंडार, जिसकी मौजूदा कीमत लगभग 200 अरब डॉलर बताई जाती है। कहते हैं कि यहां जितना सोना है, उतना शायद पूरी दुनिया की कई अर्थव्यवस्थाओं के पास भी नहीं। फोर्ट नॉक्स की कहानी केवल सोने के भंडारण की नहीं, बल्कि एक ऐसी सुरक्षा प्रणाली की है, जो दुनिया के किसी भी बंकर, अंडरग्राउंड बेस या राष्ट्रपति भवन से भी कई गुना अधिक अभेद्य मानी जाती है। इसकी शुरुआत हुई थी सन् 1936 में, जब अमेरिका महामंदी (Great Depression) के दौर से गुजर रहा था। उस समय राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूज़वेल्ट ने “गोल्ड रिजर्व एक्ट” लागू किया और देशभर के बैंकों व नागरिकों से सोना इकट्ठा करने का आदेश दिया। धीरे-धीरे देश के सारे सोने के भंडार को एक ही सुरक्षित जगह रखने की योजना बनी और यूएस ट्रेज़री ने केंटकी के फोर्ट नॉक्स शहर में एक विशाल बंकर बनाने का फैसला लिया। कहते हैं कि इस किले की नींव इतनी मजबूत है कि यह किसी भी परमाणु हमले, बमबारी या जैविक हमले को झेल सकता है। इसकी दीवारें चार फुट मोटी हैं, जिनमें ग्रेनाइट और कंक्रीट का मिश्रण है। दरवाजा कोई साधारण दरवाजा नहीं, बल्कि 22 टन वजनी स्टील की तिजोरी है, जो ऐसे संयोजन (कंबिनेशन कोड) से खुलती है जिसे कोई अकेला व्यक्ति नहीं जानता। इसे खोलने के लिए कई अधिकारियों को अपने-अपने हिस्से के कोड एक साथ डालने पड़ते हैं, तभी यह खुलता है। अंदर के गलियारे इतने जटिल हैं कि कोई बाहरी व्यक्ति अगर प्रवेश भी कर जाए, तो वह कभी बाहर का रास्ता नहीं ढूंढ पाएगा।
फोर्ट नॉक्स की सुरक्षा किसी सामान्य बैंक या सेना की तरह नहीं है। यहां 24 घंटे अमेरिकी सेना के विशेष प्रशिक्षित सैनिक तैनात रहते हैं, जिनके पास अत्याधुनिक हथियार और निगरानी प्रणाली होती है। कहा जाता है कि यहां तक पहुंचने से पहले किसी भी घुसपैठिए को तीन-तीन परतों वाली सुरक्षा रिंग पार करनी पड़ती है। पहली परत है घेराबंदी — चारों तरफ ऊंची दीवारें, विद्युत तार और बम-रोधी फेंसिंग। दूसरी परत है सशस्त्र सैनिकों की निगरानी — जो हर वक्त गश्त करते रहते हैं। तीसरी परत है इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस, जहां हजारों सेंसर, कैमरे और मोशन डिटेक्टर हर हलचल को रिकॉर्ड करते हैं। इन सभी पर निगरानी रखी जाती है “यूएस बुलियन डिपॉजिटरी” के कमांड सेंटर से, जो एक तरह का युद्ध नियंत्रण कक्ष है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि यहां आने-जाने की अनुमति बहुत कम लोगों को ही मिलती है। यहां तक कि अमेरिका के राष्ट्रपति तक को बिना अनुमति अंदर जाने का अधिकार नहीं है। इतिहास में अब तक सिर्फ दो बार फोर्ट नॉक्स के दरवाजे बाहर की दुनिया के लिए खुले। पहली बार 1943 में, जब कांग्रेस के कुछ चुनिंदा सदस्यों और पत्रकारों को अंदर ले जाकर सोने की ईंटें दिखाईं गईं ताकि जनता को भरोसा हो कि यह खजाना वाकई मौजूद है। दूसरी बार 1974 में कुछ अमेरिकी सांसदों को निरीक्षण के लिए अंदर जाने की अनुमति दी गई, तब से लेकर आज तक कोई नहीं जानता कि वास्तव में अंदर क्या है और कितना है।
अब सवाल उठता है — इतना सारा सोना आखिर आया कहां से? इसकी शुरुआत 1930 के दशक में हुई थी, जब अमेरिकी सरकार ने नागरिकों से सोना जमा करने का आदेश दिया था। उस समय सरकार ने तय किया कि कोई भी व्यक्ति या संस्था सोने के सिक्के या बिस्किट नहीं रख सकती। लोगों से सोना लेकर सरकार ने बदले में डॉलर दिए, और इस तरह हजारों टन सोना सरकारी खजाने में जमा हुआ। इसके अलावा, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका ने यूरोप के कई देशों का सोना भी अपने पास सुरक्षित रखने के लिए लिया। ब्रिटेन, फ्रांस और अन्य सहयोगी देशों ने नाज़ी जर्मनी से अपने सोने को बचाने के लिए उसे अमेरिका भेज दिया, और उसका बड़ा हिस्सा फोर्ट नॉक्स में रखा गया। कुछ दस्तावेज बताते हैं कि यहां जापान, जर्मनी और रूस के सोने के कुछ हिस्से भी अस्थायी रूप से रखे गए थे। यानि यह किला केवल अमेरिका का नहीं, बल्कि विश्व के कई देशों की अर्थव्यवस्था का एक मौन प्रहरी बन गया।
दुनिया में फोर्ट नॉक्स को लेकर कई कहानियां, अफवाहें और साजिश सिद्धांत भी हैं। कुछ लोग मानते हैं कि अब वहां सोना बचा ही नहीं, अमेरिकी सरकार ने वर्षों पहले उसे बेच दिया या गुप्त रूप से ट्रांसफर कर दिया है। वहीं कुछ का दावा है कि वहां सोने के साथ-साथ दुनिया की सबसे गोपनीय वस्तुएं रखी गई हैं — जैसे स्वतंत्रता घोषणा पत्र (Declaration of Independence) की मूल प्रति, अमेरिकी संविधान, और यहां तक कि “रोसवेल एलियन सबूत”। हालांकि अमेरिकी सरकार ने कभी इन अफवाहों की पुष्टि नहीं की। कई इतिहासकार कहते हैं कि ऐसी कहानियां इसलिए भी जन्म लेती हैं क्योंकि फोर्ट नॉक्स के अंदर की वास्तविक तस्वीरें या वीडियो कभी सार्वजनिक नहीं किए गए। सुरक्षा इतनी सख्त है कि यहां तक कि रखरखाव करने वाले मजदूरों को भी काम के दौरान ब्लाइंडफोल्ड करके अंदर ले जाया जाता है, ताकि वे रास्ते न पहचान सकें।
फोर्ट नॉक्स सिर्फ एक खजाना घर नहीं, बल्कि अमेरिकी शक्ति, आर्थिक स्थिरता और राष्ट्रीय सुरक्षा का प्रतीक है। अमेरिका ने जब भी किसी आर्थिक संकट या युद्ध का सामना किया, इस किले का जिक्र जरूर हुआ। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहां कई मूल्यवान दस्तावेज और ऐतिहासिक वस्तुएं भी रखी गई थीं ताकि दुश्मनों से बचाई जा सकें। अमेरिकी डॉलर की मजबूती के पीछे भी फोर्ट नॉक्स का सोना एक अदृश्य ढाल बनकर काम करता रहा। यह सोना सिर्फ धातु नहीं, बल्कि भरोसे का प्रतीक है — वो भरोसा कि अगर कभी भी दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगाई, तो अमेरिका के पास अपनी नींव को संभालने के लिए ठोस आधार है।
कई विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर कभी फोर्ट नॉक्स की सुरक्षा पर आधारित कोई फिल्म बनाई जाए, तो हॉलीवुड की सबसे कल्पनाशील जासूसी फिल्में भी उसके सामने फीकी पड़ जाएंगी। यहां की हर ईंट, हर सेंसर और हर सिपाही किसी महाकाव्य के योद्धा जैसा है। यहां से अब तक कभी कुछ चोरी नहीं हुआ, कोई हमला सफल नहीं हुआ, और कोई जासूस अंदर नहीं घुस पाया। यह केवल इसलिए संभव है क्योंकि फोर्ट नॉक्स की सुरक्षा में “मानव से ज्यादा मशीनें, और मशीनों से ज्यादा रहस्य” काम करते हैं। आज भी जब कोई “सुरक्षा” शब्द बोलता है, तो उसके मन में फोर्ट नॉक्स की छवि उभरती है — एक ऐसा किला जहां सोना भी सांस लेकर खुद को सुरक्षित महसूस करता है।
कहते हैं, दुनिया में दो ही चीजें स्थायी हैं — एक, समय की चाल और दूसरी, फोर्ट नॉक्स की तिजोरी। वहां रखा हर सोने का बिस्किट न केवल अमेरिका की आर्थिक ताकत का प्रतीक है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि जब भरोसा किले जैसा मजबूत होता है, तो किसी भी संकट की लहर उसे डिगा नहीं सकती। फोर्ट नॉक्स सिर्फ एक बिल्डिंग नहीं, यह मानव सभ्यता का सबसे सुनहरा पहरा है, जहां दीवारें भी सोने की सुरक्षा के लिए सांस लेती हैं।





