Mohit Jain
छठ पूजा का तीसरा दिन: मुख्य अर्घ्य का शुभ अवसर
सोमवार, 27 अक्टूबर 2025 को छठ पूजा का तीसरा दिन मनाया जाएगा। यह दिन इस चार दिवसीय महापर्व का सबसे महत्वपूर्ण दिन माना जाता है। इस दिन शाम के समय व्रती महिलाएं डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। अगले दिन यानी 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का समापन होगा।
छठ पूजा 2025: इस बार बन रहे हैं शुभ योग

ज्योतिष के अनुसार, इस बार कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं।
27 अक्टूबर को रवि योग, सुकर्मा योग और कौलव करण जैसे मंगलकारी योगों का निर्माण होगा।
ऐसा माना जाता है कि इन योगों में सूर्य देव को अर्घ्य देने से विशेष फल प्राप्त होता है, स्वास्थ्य उत्तम रहता है और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का समय
पंचांग के अनुसार, 27 अक्टूबर को नई दिल्ली में सूर्यास्त शाम 5 बजकर 40 मिनट पर होगा।
इस समय व्रती महिलाएं नदी, तालाब या घर में बने छठ घाट पर विधि-विधान से सूर्य देव को अर्घ्य देंगी।
माना जाता है कि सूर्यास्त के समय जल अर्पण करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
रवि योग का शुभ संयोग
पंचांग के अनुसार, रवि योग 27 अक्टूबर को दोपहर 1 बजकर 27 मिनट से शुरू होकर पूरी रात तक रहेगा।
इस योग में सूर्य देव की उपासना अत्यंत शुभ मानी जाती है।
रवि योग में अर्घ्य देने से भगवान भास्कर की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति को आरोग्यता व ऊर्जा का आशीर्वाद मिलता है।
अन्य शुभ करण और योग
इस बार छठ पूजा के तीसरे दिन कौलव करण और तैतिल करण का भी संयोग बन रहा है।
कौलव करण को ज्योतिष में शुभ माना जाता है, और इस योग में किए गए धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व होता है।
अगले दिन 28 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य करण योग में दिया जाएगा, जो समापन का प्रतीक माना जाता है।
धार्मिक मान्यता

छठ महापर्व सूर्य देव और छठी मईया की उपासना का पर्व है। मान्यता है कि सूर्य देव को अर्घ्य देने से घर-परिवार में स्वास्थ्य, समृद्धि और संतान सुख प्राप्त होता है।
रवि योग में अर्घ्य देने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।
27 अक्टूबर 2025 का दिन छठ पूजा के श्रद्धालुओं के लिए बेहद खास है। रवि योग, सुकर्मा योग और कौलव करण के इस शुभ संयोग में संध्या अर्घ्य देना अत्यंत फलदायी रहेगा। भक्त पूरी श्रद्धा से डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर भगवान भास्कर से अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करेंगे।





