BY: Yoganand Shrivastva
कर्नाटक के रसूखदार राजनैतिक परिवार के वारिस और पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को आखिरकार एक रेप केस में दोषी करार दिया गया है। 15 महीने की लंबी जांच, 113 गवाहों के बयान, एक वीडियो क्लिप और एक साड़ी जैसी फोरेंसिक सबूतों की बदौलत कोर्ट ने 1 अगस्त को यह फैसला सुनाया।
यह मामला उस समय प्रकाश में आया जब पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसके साथ 2021 में दो बार बलात्कार किया गया था — पहली बार हासन जिले के गन्निकाडा स्थित फार्महाउस में और दूसरी बार बेंगलुरु के बसवंगुड़ी स्थित आवास पर।
ताकतवर परिवार से शुरू होकर कोर्ट की चौखट तक
प्रज्वल रेवन्ना, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और वर्तमान राज्यसभा सांसद एच.डी. देवेगौड़ा के पोते हैं। उनके पिता एच.डी. रेवन्ना पूर्व मंत्री, चाचा एच.डी. कुमारस्वामी पूर्व मुख्यमंत्री और भाई सूरज एमएलसी हैं। प्रज्वल को कभी JDS का भविष्य माना जाता था, लेकिन आज उनकी पहचान एक दोषी अपराधी की बन गई है।
प्रज्वल के खिलाफ कुल चार आपराधिक मामले दर्ज हैं — जिनमें तीन रेप और एक यौन उत्पीड़न का मामला शामिल है। अब तक सिर्फ एक मामले में फैसला आया है, जिसमें उन्हें दोषी पाया गया।
पेन ड्राइव कांड और SIT की जांच
24 अप्रैल 2024 को हासन के एक स्टेडियम में लोगों को सैकड़ों पेन ड्राइव पड़े मिले। इनमें प्रज्वल से जुड़ी लगभग 3000 आपत्तिजनक क्लिप्स और तस्वीरें थीं। जैसे ही ये सार्वजनिक हुईं, एक के बाद एक 50 से ज्यादा महिलाएं सामने आईं और शिकायत दर्ज कराई। 12 महिलाओं ने सीधे तौर पर रेप का आरोप लगाया।
इन सबमें से जिस केस में अब सजा सुनाई गई, वह केस एक घरेलू सहायिका का था, जिसकी उम्र 48 साल है। वह प्रज्वल के घरों में काम करती थी। आरोप है कि प्रज्वल ने उससे जबरन संबंध बनाए और वीडियो रिकॉर्ड किया।
सबूत जो सजा की वजह बने
चार्जशीट में कई अहम सबूत पेश किए गए:
- एक वीडियो, जिसमें पीड़िता को रोते हुए और विरोध करते हुए देखा जा सकता है।
- घटना के समय पहनी गई साड़ी, जिस पर प्रज्वल का डीएनए मिला।
- वीडियो में दिखी लोकेशन की पहचान और शरीर के हिस्सों का मिलान फोरेंसिक जांच से किया गया।
- पीड़िता का बयान, जिसे कोर्ट ने “विश्वसनीय और मजबूत” माना।
- कुल 180 डॉक्यूमेंटरी एविडेंस पेश किए गए।
SIT ने फोरेंसिक लैब की मदद से पुष्टि की कि वीडियो असली था, उसमें किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई थी। कोर्ट ने सिर्फ 38 सुनवाइयों में फैसला सुना दिया।
घटना की आपबीती: कैसे टूटी चुप्पी
पीड़िता ने बताया कि 2021 में लॉकडाउन के समय प्रज्वल ने उसे पानी लाने को कहा और फिर कमरे में बुलाकर दरवाजा बंद कर दिया। वहीं जबरन शारीरिक संबंध बनाए और वीडियो रिकॉर्ड किया। कुछ दिन बाद वही घटना बेंगलुरु के घर में भी दोहराई गई।
डर और धमकियों के बीच पीड़िता चुप रही। लेकिन जब टीवी पर वीडियो वायरल हुए और उसके परिवार को पता चला, तब जाकर उसने FIR दर्ज कराई।
जर्मनी भागा, लेकिन पकड़ा गया
जैसे ही मामले ने तूल पकड़ा, प्रज्वल भारत छोड़कर जर्मनी भाग गया। लेकिन 31 मई 2024 को जैसे ही वह भारत लौटा, बेंगलुरु एयरपोर्ट पर उतरते ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
कितनी सजा होगी?
प्रज्वल के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)(k) के तहत मुकदमा चला। यह धारा विशेष परिस्थितियों में बलात्कार के मामलों में लागू होती है, और इसके तहत कम से कम 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा संभव है।
इसके अलावा IT एक्ट और अन्य धाराओं के तहत 3 से 7 साल की अतिरिक्त सजा भी सुनाई जा सकती है।
बाकी तीन मामलों का क्या हुआ?
- पहली शिकायतकर्ता:
एक महिला पार्टी कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि 1 जनवरी 2021 को प्रज्वल ने सरकारी बंगले में उसका बलात्कार किया और उसके पति को गोली मारने की धमकी दी। - दूसरी शिकायतकर्ता:
एक महिला ने आरोप लगाया कि पहले उसकी मां से रेप किया गया, फिर उसे खुद को वीडियो कॉल पर नग्न होने के लिए मजबूर किया गया। शिकायत के बाद उसके पिता को नौकरी से निकाल दिया गया।
इन मामलों में अभी ट्रायल चल रहा है।
राजनीतिक प्रभाव और JDS में उथल-पुथल
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस फैसले का सीधा असर जनता दल (सेक्युलर) की पारिवारिक राजनीति पर पड़ा है। पूर्व सीएम एचडी कुमारस्वामी अपने बेटे निखिल को राजनीति में स्थापित करना चाहते थे, लेकिन वह तीन चुनाव हार चुके हैं।
वहीं दूसरी ओर, प्रज्वल को देवेगौड़ा ने खुद अपनी संसदीय सीट दी थी और उन्हें भविष्य का नेता माना जा रहा था। अब प्रज्वल की सजा के साथ निखिल के लिए रास्ता साफ हो गया है।
एक और झटका: भाई सूरज पर भी केस
प्रज्वल के छोटे भाई सूरज रेवन्ना को भी 23 जून 2024 को गिरफ्तार किया गया। उन पर पार्टी कार्यकर्ता ने अननेचुरल सेक्स का आरोप लगाया। यह आरोप भी फार्महाउस में ही जबरदस्ती संबंध बनाने का है।
बाद में एक और युवक ने होलेनरासीपुर थाने में सूरज के खिलाफ इसी तरह की शिकायत की।
एक रसूख का पतन, पीड़ितों की जीत
प्रज्वल रेवन्ना जैसे शक्तिशाली नेता के खिलाफ कानून ने काम किया — यह एक मिसाल है। चार साल तक चुप रहने के बाद हिम्मत करके सामने आने वाली महिला को आखिरकार न्याय मिला। सजा का ऐलान अभी बाकी है, लेकिन दोषी ठहराए जाने के बाद यह तय है कि प्रज्वल की राजनीतिक और सामाजिक पहचान खत्म हो चुकी है।
अब सवाल है – क्या बाकी पीड़ितों को भी जल्द न्याय मिलेगा?