मध्यप्रदेश ने जनजातीय गौरव दिवस—15 नवंबर, यानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती—को एक नई ऐतिहासिक पहल के रूप में मनाया। इस दिन राज्य सरकार ने विभिन्न जेलों में बंद 32 कैदियों को समय से पूर्व रिहा किया। इस तरह यह दिन कैदियों की रिहाई से जोड़ने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। रिहा किए गए बंदियों में ग्वालियर सेंट्रल जेल का एक पुरुष कैदी भी शामिल है।
कई जिलों की जेलों से कैदी रिहा
जारी सूची के अनुसार—
- जबलपुर जेल से 6 कैदी मुक्त किए गए (5 पुरुष और 1 महिला)।
- ग्वालियर, कटनी, छिंदवाड़ा और अन्य जिलों की जेलों से भी कई बंदियों को छोड़ा गया।
इन 32 कैदियों में से 9 आदिवासी समुदाय के हैं, जिससे इस विशेष दिवस का उद्देश्य और भी सशक्त रूप में सामने आता है।
अब साल में पांच बार होगी रिहाई
राज्य सरकार ने नई नीति बनाकर तय किया है कि अब साल में 5 अवसरों पर कैदियों को रिहा किया जाएगा—
- 26 जनवरी – गणतंत्र दिवस
- 15 अगस्त – स्वतंत्रता दिवस
- अंबेडकर जयंती
- गांधी जयंती
- बिरसा मुंडा जयंती – 15 नवंबर
जनजातीय गौरव दिवस को इस सूची में शामिल करना सरकार का एक नया कदम है।
ग्वालियर से भोपाल निवासी कैदी को मिली रिहाई
ग्वालियर सेंट्रल जेल के प्रभारी विदित सरवइया के अनुसार,
भोपाल निवासी निहाल कुशवाह (पुत्र गोपाल सिंह कुशवाहा) को उत्कृष्ट आचरण के आधार पर रिहा किया गया।
- वह हत्या के मामले में 14 वर्षों से सजा काट रहा था।
- 27 मई 2025 को उसे भोपाल जेल से ग्वालियर जेल में स्थानांतरित किया गया था।
अधिकारियों ने बताया—यह एक महत्वपूर्ण और प्रेरक कदम
जेल विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जिन कैदियों को छोड़ा गया है, उनका व्यवहार लंबे समय से अनुशासित रहा है।
इस पहल से—
- कैदियों को नया जीवन शुरू करने का अवसर मिलेगा,
- समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा,
- तथा जनजातीय समुदाय के गौरव दिवस को विशेष महत्व प्राप्त होगा।





