BY: Yoganand Shrivastva
चंडीगढ़ | पंजाब के तरनतारन जिले में 1993 में हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने पांच पूर्व पुलिस अधिकारियों को दोषी ठहराया है। दोषियों में एक एसएसपी रैंक का अधिकारी भी शामिल है। अदालत ने इन पर हत्या, साजिश रचने और साक्ष्य मिटाने के आरोप साबित पाए हैं। अब 4 अगस्त को इनकी सजा का ऐलान किया जाएगा।
कौन हैं दोषी?
दोषी करार दिए गए अधिकारियों में रिटायर्ड एसएसपी भूपिंदरजीत सिंह, पूर्व डीएसपी दविंदर सिंह, एक्स इंस्पेक्टर सूबा सिंह, पूर्व एएसआई रघबीर सिंह और पूर्व एएसआई गुलबर्ग सिंह शामिल हैं।
क्या है पूरा मामला?
CBI की जांच के मुताबिक, 27 जून 1993 को सरहाली थाना क्षेत्र में तैनात SHO गुरदेव सिंह के नेतृत्व में एक सरकारी ठेकेदार के घर छापेमारी कर 5 लोगों को हिरासत में लिया गया। इनमें तीन विशेष पुलिस अधिकारी (SPO) — शिंदर सिंह, देसा सिंह और सुखदेव सिंह — के साथ बलकार सिंह और दलबीर सिंह शामिल थे। इन पर झूठे तरीके से डकैती का आरोप लगाया गया।
2 जुलाई 1993 को पुलिस ने दावा किया कि इन SPO ने सरकारी हथियार लेकर फरार हो गए। बाद में 12 जुलाई को पुलिस टीम ने बताया कि वे एक आरोपी मंगल सिंह को घड़का गांव ले जा रही थी, तभी कथित आतंकवादियों ने हमला कर दिया। इस हमले में चार लोगों — मंगल सिंह, देसा सिंह, शिंदर सिंह और बलकार सिंह — की मौत हो गई।
CBI जांच में क्या सामने आया?
CBI द्वारा की गई गहन जांच में पाया गया कि यह मुठभेड़ पूरी तरह से फर्जी थी। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ कि मृतकों को मरने से पहले गंभीर यातनाएं दी गई थीं। साथ ही, जब्त हथियारों की फॉरेंसिक जांच में भी गंभीर विसंगतियाँ पाई गईं। पुलिस ने इन शवों को “अनक्लेम्ड” बताकर अंतिम संस्कार कर दिया था।
इतना ही नहीं, 28 जुलाई 1993 को एक और कथित मुठभेड़ में तीन और व्यक्तियों — सुखदेव सिंह, सरबजीत सिंह और हरविंदर सिंह — को मार गिराया गया। इस ऑपरेशन का नेतृत्व भी तत्कालीन डीएसपी भूपिंदरजीत सिंह ने किया था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से CBI जांच की शुरुआत
1990 के दशक में पंजाब में हो रही अज्ञात शवों की सामूहिक अंत्येष्टि पर सवाल उठे थे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से यह मामला 1996 में CBI को सौंपा गया। वर्ष 1999 में पीड़ित शिंदर सिंह की पत्नी नरिंदर कौर की शिकायत पर CBI ने केस दर्ज किया।
मामले में अन्य आरोपी — इंस्पेक्टर गुरदेव सिंह, एसआई ज्ञान चंद, एएसआई जगीर सिंह, हेड कांस्टेबल मोहिंदर सिंह और अरूर सिंह — की मुकदमे के दौरान मृत्यु हो चुकी है।
32 साल बाद मिला इंसाफ
CBI की विशेष अदालत के न्यायाधीश बलजिंदर सिंह सरा ने गवाहों और सबूतों के आधार पर पांच पूर्व पुलिस अधिकारियों को दोषी माना। अब 32 वर्षों बाद पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद जगी है।
सजा की घोषणा 4 अगस्त 2025 को की जाएगी। इस फैसले को लेकर पूरे पंजाब और मानवाधिकार संगठनों की नजरें अदालत की ओर टिकी हैं।