अब तक 775 भ्रष्ट अफसरों पर चल चुका है सीएम योगी का चाबुक !
BY: Vijay Nandan
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए बड़ा फैसला लिया है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया है। 2006 बैच के इस अधिकारी पर लखनऊ में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में अनियमितताओं और फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल का आरोप है। वर्तमान में अभिषेक प्रकाश औद्योगिक विकास विभाग के सचिव और इन्वेस्ट यूपी के सीईओ के पद पर कार्यरत थे। इस कार्रवाई से प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है।
जानकारी के मुताबिक, अभिषेक प्रकाश लंबे समय तक लखनऊ के जिलाधिकारी (डीएम) रहे हैं। उनके कार्यकाल के दौरान डिफेंस एक्सपो और भटगांव में डिफेंस कॉरिडोर के लिए जमीन अधिग्रहण में मुआवजे के नाम पर भारी गड़बड़ियां सामने आई हैं। इसके अलावा, सोलर पैनल लगाने के एक मामले में भी गोपनीय जांच हुई थी, जिसमें अभिषेक और उनके एक करीबी पर वसूली के आरोप लगे थे। इन सभी मामलों की जांच जारी है।

सीएम योगी का साफ संदेश: भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह नहीं है। उन्होंने आईएएस और पीसीएस अधिकारियों को चेतावनी दी है कि अगर कोई भी भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल पाया गया, तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। अभिषेक प्रकाश पर हुई यह कार्रवाई इसी नीति का हिस्सा मानी जा रही है।
कौन हैं अभिषेक प्रकाश?
अभिषेक प्रकाश 2006 बैच के आईएएस अधिकारी हैं और प्रदेश के कई जिलों में डीएम रह चुके हैं। इनमें लखनऊ सबसे अहम जिला रहा है। इन्वेस्ट यूपी के सीईओ के तौर पर वे राज्य में निवेश को बढ़ाने का काम कर रहे थे, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों ने उनकी छवि पर सवाल उठा दिए हैं।
हाल के दिनों में कई अधिकारियों पर कार्रवाई
पिछले कुछ दिनों में यूपी में कई आईएएस और पीसीएस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है। दो दिन पहले सस्पेंड चल रहे सात अधिकारियों को नई तैनाती दी गई थी, जिसमें आईएएस घनश्याम सिंह को विशेष सचिव वन बनाया गया। चार पीसीएस अधिकारियों को भी नए पद सौंपे गए थे। योगी सरकार का यह कदम भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है।
योगी सरकार में अब तक 775 भ्रष्ट अफसर नपे
योगी आदित्यनाथ सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में 775 से अधिक भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की है, जिसमें इंजीनियर, आईएएस और आईपीएस अधिकारी शामिल हैं। इन कार्रवाइयों में जबरन सेवानिवृत्ति, निलंबन और पदावनति जैसे कदम शामिल हैं। विशेष रूप से, आईएएस अधिकारी राजीव कुमार को नोएडा प्लॉट आवंटन घोटाले में 2016 में निलंबित किया गया था और बाद में सेवानिवृत्ति का नोटिस दिया गया। इसके अलावा, एक समिति का गठन किया गया था, जिसने 50 से अधिक आईएएस अधिकारियों के वार्षिक प्रदर्शन रिकॉर्ड (ACRs) की समीक्षा की थी, ताकि भ्रष्ट और अक्षम अधिकारियों की पहचान की जा सके (