मणिपुर में चल रही हिंसा के बीच करीब 2 दशक के बाद हिंदी फिल्म रेप्लिका गन्स और उरी की स्क्रीनिंग हुई। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आदिवासी संस्था हमार स्टूडेंट्स एसोसिएशन (HSA) ने इसका प्लान किया था।
स्वतंत्रता दिवस मनाया
मणिपुर में मंगलवार को हिंसा के बीच स्वतंत्रता दिवस मनाया गया। कुकी समुदाय के लोगों ने हथियार लेकर परेड किया। जिस पर रिटायर्ड जनरल निशिकांत सिंह ने ट्वीट कर कहा कि स्वतंत्रता दिवस के मौके पर परेड में हथियार लेकर सुरक्षाबल ही प्रदर्शन करते हैं। लेकिन हथियारों से लैस कुकी उग्रवादियों को देखकर हैरान हूं। इसके जरिए कुकी संदेश देना चाह रहा है कि कुछ भी करके बचा जा सकता है। उन्होंने आगे कहा- मैतई लोगों को सरकार पर भरोसा करना चाहिए। फिर भी वे अपनी लड़ाई के लिए तैयार रहें।
मार्च में दिखाई पठान
2000 के बाद किसी भी हिंदी फिल्म की यह पहली स्क्रीनिंग है। यहां पर कुछ विद्रोही समूहों ने बॉलीवुड फिल्मों पर प्रतिबंध लगा दिया था। वैसे मणिपुर के उखरूल जिला में कड़े सुरक्षा के बीच इस साल मार्च में शाहरुख खान-स्टारर पठान मूवी भी दिखाई गई थी।
आखिरी स्क्रीनिंग
HSA ने बताया कि मणिपुर में आखिरी बार 1998 में हिंदी फिल्म कुछ कुछ होता है की स्क्रीनिंग की गई थी। इसके बाद प्रतिबंधित संगठन रेवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट (RPF) ने 12 सितंबर 2000 से हिंदी फिल्म की स्क्रीनिंग पर बैन लगा दिया।
क्यों लगा बैन
बैन लगाने के एक हफ्ते के भीतर RPF ने हिंदी भाषा के 6,000 से 8,000 वीडियो-ऑडियो कैसेट और कॉम्पैक्ट डिस्क जला दिए थे। इसका कारण बताया गया कि बॉलीवुड से समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। मणिपुर की चैंपियन मुक्केबाज मैरी कॉम की खुद की बायोपिक भी उनके गृह राज्य में रिलीज नहीं हुई।
160 से ज्यादा मौतें
3 मई को मणिपुर में मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (SC) दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में आदिवासी एकजुटता मार्च निकाला गया था। जिसके बाद वहां कुकी और मैतेई समुदाय के बीच हिंसा भड़क उठी। तब से लेकर अब तक वहां 160 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 1000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। 27 लोग लापता हैं। 350 लोगों ने रिलीफ कैंपो में शरण ली है वहीं 50 से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं।सबसे अधिक हिंस चुराचांदपुर, कांगपोकपी, इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट और विष्षणुपुर में हो रही है।
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