BY: Yoganand Shrivastva
बीजिंग: चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर चीन की जीत की 80वीं वर्षगांठ पर आयोजित भव्य सैन्य परेड के दौरान अमेरिका को अप्रत्यक्ष रूप से चेतावनी दी। जिनपिंग ने कहा कि दुनिया सद्भाव और सहयोग से चलती है, दादागिरी और धमकियों से नहीं, और चीन किसी से डरने वाला नहीं है।
इस अवसर पर उनके साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन और उत्तर कोरिया के नेता किम जोंग उन भी मौजूद थे।
पीएलए को विश्वस्तरीय शक्ति बनाने का लक्ष्य
शी जिनपिंग ने कहा कि चीन का राष्ट्रीय कायाकल्प लगातार जारी रहेगा और पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को इसे साकार करने में रणनीतिक समर्थन देना चाहिए। उन्होंने PLA को विश्वस्तरीय सैन्य शक्ति बनने का लक्ष्य देने की बात कही। परेड में पहली बार हाइपरसोनिक, लेजर और लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों सहित अत्याधुनिक हथियारों का प्रदर्शन किया गया।
अंतरराष्ट्रीय उपस्थिती और कूटनीतिक संदेश
इस परेड में 26 देशों के नेता मौजूद थे, जिनमें पाकिस्तान, नेपाल, मालदीव समेत कई अन्य देश शामिल थे। वहीं अमेरिका, दक्षिण कोरिया और यूरोपीय संघ के नेता परेड में शामिल नहीं हुए। जापान की अपील के बावजूद परेड में भाग न लेने की वजह से चीन-जापान के बीच कूटनीतिक तनाव भी दिखाई दिया।
भाषण में शांति और मानवता का संदेश
शी ने कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के खिलाफ जीत “विदेशी आक्रमण के खिलाफ आधुनिक युग में पहली पूर्ण विजय” थी। उन्होंने जोर देकर कहा कि सभी देशों को समान व्यवहार और सहयोग करना चाहिए ताकि युद्ध की जड़ें समाप्त हो सकें। उन्होंने यह भी कहा कि आज मानवता के सामने शांति या युद्ध, संवाद या टकराव, लाभ या हानि के बीच चुनाव का समय है, और चीन शांति और मानव प्रगति के पक्ष में खड़ा रहेगा।
नई हथियार प्रणालियों का प्रदर्शन
चीनी सेना ने पहली बार 20,000 किमी तक मारक क्षमता वाली DF-5C अंतरमहाद्वीपीय परमाणु मिसाइल, 5,000 किमी रेंज वाली DF-26D जहाज-रोधी मिसाइल, हाईपरसोनिक क्रूज मिसाइलें, बमवर्षक विमान, इंटरसेप्टर मिसाइलें और युद्धक टैंक का प्रदर्शन किया।
अमेरिका और वैश्विक संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि यह परेड केवल सैन्य शक्ति दिखाने के लिए नहीं थी, बल्कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को स्पष्ट संदेश भी दिया गया कि चीन अब वैश्विक प्रभाव और प्रभुत्व की दौड़ में प्रमुख खिलाड़ी बनकर सामने आ चुका है। चीन का 2025 का रक्षा बजट 250 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो इसे अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा रक्षा व्यय करने वाला देश बनाता है।