कोलकाता, 19 अप्रैल 2025: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने शनिवार (19 अप्रैल) को हिंसा प्रभावित मुर्शिदाबाद जिले के शमशेरगंज इलाके का दौरा किया। वहाँ उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और प्रभावित परिवारों से बातचीत की। इसके बाद वह धुलियान, सूती और जंगीपुर जैसे अन्य हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में भी गए।
क्या हुआ था मुर्शिदाबाद में?
- 8 से 12 अप्रैल के बीच, वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद मुर्शिदाबाद के कुछ इलाकों में हिंसा भड़क उठी।
- इन इलाकों में मुस्लिम आबादी अधिक है।
- हिंसा में 3 लोगों की मौत हुई और 274 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।
राज्यपाल का दौरा और प्रतिक्रिया
राज्यपाल ने फरक्का गेस्ट हाउस में प्रभावित परिवारों के सदस्यों से मुलाकात की, जहाँ वह शुक्रवार रात से ठहरे हुए थे। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिया कि उनकी समस्याओं का समाधान किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्यपाल से इस दौरा को टालने का अनुरोध किया था, लेकिन वह शुक्रवार को ही मालदा पहुँच गए और वहाँ शरणार्थी शिविर में रह रहे लोगों से मिले। उन्होंने कहा, “मैंने यहाँ शिविर में रह रहे परिवारों से बात की है। उन्होंने मुझे विस्तार से स्थिति बताई। हम उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए सक्रिय कदम उठाएँगे।”
क्या है वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025?
(यहाँ ध्रुव राठी की शैली में समझाएँ तो—)
- वक्फ मुस्लिम धार्मिक संस्थाओं और ट्रस्टों से जुड़ी संपत्तियों के प्रबंधन से संबंधित कानून है।
- सरकार ने इस कानून में संशोधन करके वक्फ बोर्डों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने का प्रयास किया है।
- विपक्ष और कुछ मुस्लिम संगठनों का मानना है कि यह संशोधन अल्पसंख्यकों के अधिकारों पर हमला है, जबकि सरकार का दावा है कि यह पारदर्शिता और बेहतर प्रबंधन के लिए है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
- TMC (ममता बनर्जी की पार्टी): हिंसा को नियंत्रित करने का दावा कर रही है और कहती है कि केंद्र सरकार का यह कानून समुदाय में तनाव पैदा कर रहा है।
- BJP (केंद्र सरकार): आरोप लगाती है कि TMC सरकार ने कानून-व्यवस्था ठीक से नहीं संभाली, जिससे हिंसा फैली।
- कांग्रेस और वामदल: इस मुद्दे पर TMC का समर्थन कर रहे हैं और केंद्र सरकार पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ कानून बनाने का आरोप लगा रहे हैं।
आगे क्या होगा?
- राज्यपाल की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जा सकती है, जिससे राज्य और केंद्र के बीच तनाव बढ़ सकता है।
- हिंसा प्रभावित इलाकों में शांति बहाली के लिए अधिक पुलिस बल तैनात किया गया है।
- विपक्षी दलों ने NHRC (राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को उठाने की धमकी दी है।
निष्कर्ष: यह घटना सिर्फ कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं, बल्कि राजनीतिक और साम्प्रदायिक तनाव का भी उदाहरण है। जब तक केंद्र और राज्य सरकार एक साथ बैठकर समाधान नहीं निकालती, तब तक ऐसी हिंसा की आशंका बनी रहेगी।