BY: Vijay Nandan
नई दिल्ली : वक्फ कानून में संशोधन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज दोपहर दो बजे फिर से अहम सुनवाई होनी है। इस सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार अपनी दलीलें रखेगी, जिसके बाद याचिकाकर्ता पक्ष अपनी बात अदालत के सामने प्रस्तुत करेगा। इस मामले में पहले दिन की सुनवाई में ही कोर्ट ने कई जरूरी सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार की मंशा को समझने की कोशिश की थी।
किन बिंदुओं पर है विवाद?
विवाद की जड़ यह है कि मुस्लिम संगठनों को आशंका है कि नए संशोधित कानून से सरकार का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा। उनका मानना है कि अब यह अधिकार वक्फ बोर्ड से हटाकर जिला कलेक्टर को दे दिया गया है, जिससे यह तय किया जाएगा कि कोई संपत्ति वक्फ है या नहीं।
पहले इस विषय में वक्फ ट्रिब्यूनल फैसला करता था, लेकिन नए कानून के अनुसार अब यह फैसला प्रशासनिक अधिकारी लेंगे। यह बदलाव कई समुदायों और संगठनों को अस्वीकार्य लग रहा है।
#WATCH | Delhi | "There was a Shiv Temple which was demolished in Delhi, and it was said that lord Shiva didn't need our protection; the Supreme Court later upheld this decision… If temple-by-user and church-by-user are not a thing, why should Waqf-by-user exist?…" says… pic.twitter.com/T8MJ71QvEa
— ANI (@ANI) April 17, 2025
पहले दिन की सुनवाई में क्या हुआ था?
पहले दिन वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ कई दलीलें रखीं। उन्होंने आपत्ति जताई कि गैर-मुस्लिमों को भी वक्फ बोर्ड में शामिल करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य यह कैसे तय कर सकता है कि किसी समुदाय की विरासत किसे सौंपी जाए और उसे कैसे संरक्षित किया जाए।
सीजेआई ने भी सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि “वक्फ बाय यूजर” की पहचान कैसे तय की जाएगी और इसके लिए क्या दस्तावेज जरूरी होंगे। उन्होंने कहा कि जहाँ कुछ मामलों में गड़बड़ी हो सकती है, वहीं कई मामले सही भी होते हैं जिन्हें पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता।
तुषार मेहता की टिप्पणी
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि यदि याचिकाकर्ताओं की सभी दलीलों को मान लिया जाए, तो फिर सीजेआई तक को इस मामले में अपनी बात रखने का हक नहीं रहेगा। उनके इस बयान से कोर्ट में थोड़ी तीखी बहस भी हुई थी।
आज की सुनवाई में क्या होगा खास?
आज की सुनवाई में तीन मुख्य बिंदुओं पर सुप्रीम कोर्ट का ध्यान रहेगा। अदालत यह भी देखेगी कि क्या वक्फ बोर्ड को दी गई शक्तियों को सीमित करना उचित है और क्या नए कानून से किसी समुदाय के धार्मिक अधिकारों का हनन हो रहा है।
वक्फ कानून पर चल रही बहस सिर्फ एक कानूनी मुद्दा नहीं बल्कि धार्मिक, सामाजिक और प्रशासनिक संतुलन से जुड़ा मामला बन गई है। सुप्रीम कोर्ट की निगाहें इस पर टिकी हैं कि क्या इस कानून से अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों पर असर पड़ेगा या फिर यह प्रशासनिक पारदर्शिता की दिशा में एक सही कदम है।