वक्फ मामलों में SC की दोहरी नीति पर विष्णु शंकर जैन का सवाल
BY: Vijay Nandan
नई दिल्ली: एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने वक्फ बोर्ड और हिंदू मंदिरों के अधिग्रहण से जुड़े मामलों को लेकर न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जहां हिंदू पक्ष की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने न तो सुनवाई दी और न ही कोई अंतरिम राहत, वहीं अन्य पक्षों की याचिकाओं को न केवल सुना गया, बल्कि अंतरिम आदेश पर भी विचार किया गया।
जैन ने कहा, “जब हमने वक्फ बोर्ड से संबंधित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की, तो कोर्ट ने हमसे पूछा कि सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए? उन्होंने हमें हाईकोर्ट जाने की सलाह दी। लेकिन अब तक अलग-अलग हाईकोर्ट्स में 140 से अधिक याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं और हमें अब तक कोई अंतरिम राहत नहीं मिली।”
#WATCH | Delhi | Advocate Vishnu Shankar Jain says, "When we filed a petition in the Supreme Court regarding the Waqf board, the Court asked us why we came directly to the Supreme Court and suggested that we should go to the High Courts, and we didn't get any interim relief even… pic.twitter.com/jw2AfuWCvO
— ANI (@ANI) April 17, 2025
उन्होंने सवाल उठाया, “फिर यह दोहरा मापदंड क्यों? एक पक्ष की याचिका तुरंत सुनी जाती है, और हमारे साथ ऐसा व्यवहार क्यों?”
विष्णु शंकर जैन ने यह भी बताया कि पिछले 13 वर्षों से चार राज्यों के हिंदू मंदिरों के अधिग्रहण से जुड़े मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए मामले हाईकोर्ट भेज दिए कि “ऐसे मामलों की सुनवाई हम क्यों करें?”
उन्होंने मांग की कि वक्फ संशोधन अधिनियम से संबंधित सभी याचिकाएं एक ही हाईकोर्ट में ट्रांसफर की जाएं और एक संविधान पीठ (Constitutional Bench) का गठन किया जाए, जो छह महीने की समयसीमा में इन पर सुनवाई पूरी करे।
जैन की इस टिप्पणी से न्यायिक पारदर्शिता और धार्मिक न्यास कानूनों को लेकर नई बहस छिड़ सकती है।