BY: Yoganand Shrivastva
मैनपुरी (उत्तर प्रदेश): चार दशक से अधिक समय बाद, मैनपुरी की एक अदालत ने 24 दलितों की नृशंस हत्या के मामले में तीन लोगों को दोषी ठहराया। यह घटना 18 नवंबर 1981 की है, जब डकैतों के एक गिरोह ने दिहुली गांव में हमला कर 24 दलितों की हत्या कर दी थी और लूटपाट की थी।
अदालत का फैसला
जिला सरकारी वकील पुष्पेंद्र सिंह चौहान के अनुसार, विशेष न्यायाधीश इंदिरा सिंह ने मंगलवार को कप्तान सिंह, राम पाल और राम सेवक को दोषी करार दिया। अदालत अब 18 मार्च को उनकी सजा सुनाएगी।
घटना का विवरण
18 नवंबर 1981 को संतोष सिंह और राधेश्याम के नेतृत्व में डकैतों के गिरोह ने जसराना थाना क्षेत्र के दिहुली गांव में हमला किया। इस हमले में महिलाओं और बच्चों सहित 24 लोगों की हत्या कर दी गई थी, और उनके घरों को लूट लिया गया था।
लंबी कानूनी लड़ाई
घटना के अगले दिन, लायक सिंह नामक ग्रामीण ने एफआईआर दर्ज कराई। जांच के बाद 17 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। मुकदमे के दौरान 13 आरोपियों की मृत्यु हो गई, जबकि एक फरार है। शेष तीन आरोपियों ने मुकदमे का सामना किया और दोषी करार दिए गए।
नेताओं की प्रतिक्रिया
इस हत्याकांड के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी। वहीं, विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने फिरोजाबाद के दिहुली से सदुपुर तक पदयात्रा कर पीड़ितों के प्रति एकजुटता प्रकट की थी। 43 साल बाद आए इस फैसले से पीड़ित परिवारों को न्याय की उम्मीद जगी है।
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