संत कबीर ने एक दोहा लिखा है -लाली मेरे लाल की, जित देखूं तित लाल ,लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल कुछ यही हालात इन दिनों उत्तरप्रदेश की राजनीती में भी दिखाई दे रहा है। यूपी में इन दिनों लाल रंग पर बड़ी बहस छिड़ी है। दरअसल सीएम योगी ने गुरुवार को कानपुर में एक जनसभा में सपा पर निशाना साधते हुए कहा था, ”उनकी टोपी लाल है, लेकिन उनके कारनामे काले हैं और उनका इतिहास काले कारनामों से भरा पड़ा है।
अखिलेश यादव ने कही थी ये बात
योगी आदित्यनाथ के इस बयान पर तंज कसते हुए अखिलेश ने कहा कि हमारे सिर पर तो बाल हैं। यह टोपी उन लोगों के लिए उपयोगी हो सकती है, जिनके सिर पर बाल नहीं हैं। इससे पहले उन्होंने ट्वीट करके भी योगी के बयान पर निशाना साधा था और कहा था कि लाल रंग देखकर सांड भड़क जाते हैं। ‘कन्नौज में अखिलेश ने कहा, कभी-कभी लोग तिलमिला जाते हैं और कुछ भी बोलते रहते हैं। कभी-कभी जब लोग आहत होते हैं तो और भी ज्यादा बोल जाते हैं।
लाल रंग देवी दुर्गा का रंग है
यादव ने अपनी पार्टी का बचाव करते हुए कहा था कि लाल रंग भावनाओं का रंग है। लाल रंग देवी दुर्गा का रंग है। योगी आदित्यनाथ पर कटाक्ष करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि वे हमारी टोपी का दुरुपयोग कर रहे हैं, फिर भी हमारा व्यवहार बहुत अच्छा है। कम से कम हमारे बाल तो पूरे हैं, इसलिए हम टोपी पहन रहे हैं। जिनके बाल नहीं, उन्हें भी टोपी पहननी चाहिए। यह लाल रंग क्रांति का है। यह लाल रंग हमारी भावनाओं का है। यह लाल रंग मेल-मिलाप का है। जब हमारे यहां कोई पारिवारिक समारोह होता है तो लाल रंग सबसे ज्यादा दिखता है। जब हम खुश होते हैं तो हमारे चेहरे लाल हो जाते हैं और जब हम दुखी होते हैं तो भी हमारे चेहरे लाल हो जाते हैं।’
लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा को उम्मीद से ज्यादा सफलता मिली और पार्टी ने पीडीए को सफलता का कारण माना। जाहिर है उत्साह से लबरेज समाजवादी पार्टी ही योगी आदित्यनाथ के निशाने पर है और यदा कदा शब्दबाण से योगी ,अखिलेश यादव को आहत करते रहते हैं। इस बार मामला लाल रंग से जुड़ा है तो घात प्रतिघात का दौर जारी है।