उत्तर प्रदेश में इस समय बाढ़ ने भारी तबाही मचाई हुई है। प्रदेश के 15 जिले पूरी तरह से बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग पौने तीन लाख लोग प्रभावित हुए हैं। कई गांव पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पलायन करना पड़ रहा है।
बाढ़ से प्रभावित जिले हैं:
- कानपुर
- फतेहपुर
- बहराइच
- बाराबंकी
- बदायूं
- फर्रुखाबाद
- गोंडा
- हरदोई
- कासगंज
- खीरी
- मेरठ
- मुरादाबाद
- मुजफ्फरनगर
- शाहजहांपुर
- उन्नाव
भारी बारिश और उफान पर नदियां
पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही भीषण बारिश ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।
- मथुरा में यमुना नदी उफान पर है।
- फर्रुखाबाद में गंगा खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
- कई इलाकों में सड़कें और घर पानी में डूबे हुए हैं।
गांवों में तो हालात और भी खराब हैं। लोग अपने मवेशियों को बचाने में लगे हैं और कई घर पूरी तरह पानी में समा गए हैं।
ग्रामीणों की बढ़ी मुश्किलें
बाढ़ का सबसे बड़ा असर ग्रामीणों पर दिखाई दे रहा है।
- खेत और फसलें बर्बाद हो गई हैं।
- मवेशियों के लिए चारे की भारी कमी है।
- कई परिवारों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है।
इस स्थिति ने पलायन जैसे हालात पैदा कर दिए हैं।
सरकार की कोशिशें और चुनौतियां
राज्य सरकार की ओर से बाढ़ राहत कार्य तेज किए गए हैं। राहत शिविर, मेडिकल कैंप और खाने-पीने का इंतजाम किया जा रहा है। लेकिन अंतिम छोर तक पीड़ितों को मदद पहुंचाना अब भी एक बड़ी चुनौती है।
लोगों की सबसे बड़ी चिंता यह है कि नदियों के इस रौद्र रूप और भारी बारिश से राहत आखिर कब मिलेगी।
बाढ़ का इतिहास और सवाल
यह पहली बार नहीं है जब उत्तर प्रदेश इस तरह की प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। हर साल मॉनसून के दौरान नदियों का उफान और बाढ़ जैसी स्थितियां कई जिलों को प्रभावित करती हैं।
लोगों के मन में अब यह सवाल है कि सरकार और प्रशासन इस समस्या का स्थायी समाधान कब तक निकाल पाएंगे।





