मध्य प्रदेश का ऐतिहासिक शहर उज्जैन अब खगोल विज्ञान के क्षेत्र में भी एक नई पहचान हासिल करने जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव 21 जून 2025 को डोंगला स्थित वराहमिहिर वेधशाला में एक अत्याधुनिक तारामंडल का लोकार्पण करेंगे। इस मौके पर ‘खगोल विज्ञान एवं भारतीय ज्ञान परंपरा’ विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का भी आयोजन होगा।
कार्यशाला का उद्देश्य: परंपरा और आधुनिकता का समन्वय
इस कार्यशाला का मुख्य लक्ष्य है — भारतीय खगोलशास्त्र की परंपराओं को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ना।
मुख्य बिंदु:
- देशभर के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक और शिक्षाविद कार्यशाला में भाग लेंगे
- भारतीय ज्ञान प्रणाली की वैज्ञानिकता और उसकी समकालीन उपयोगिता पर होगा मंथन
- योग शिविर, साइंस शो, और खगोल विज्ञान पर व्याख्यान जैसी कई गतिविधियों का आयोजन
सीएम देखेंगे शून्य छाया, करेंगे तारामंडल का उद्घाटन
कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव शंकु यंत्र से शून्य छाया का अवलोकन भी करेंगे, जो भारतीय खगोल विद्या की अद्भुत तकनीक है। साथ ही, वे आचार्य वराहमिहिर न्यास और अवादा फाउंडेशन द्वारा निर्मित अत्याधुनिक तारामंडल का उद्घाटन करेंगे, जिसमें एक विशेष शो भी प्रदर्शित किया जाएगा।
कौन-कौन कर रहा है आयोजन?
इस आयोजन को कई प्रमुख संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है:
- म.प्र. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, भोपाल
- विज्ञान भारती
- आचार्य वराहमिहिर न्यास, उज्जैन
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) इंदौर
- विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन
- मध्यप्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी, भोपाल
- वीर भारत न्यास
भारतीय खगोलशास्त्र को मिलेगी नई दिशा
यह कार्यशाला केवल एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय खगोल विज्ञान को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। इसमें परंपरागत ज्ञान और वैज्ञानिक सोच को मिलाकर भविष्य की दिशा तय करने पर जोर दिया जाएगा।
उज्जैन में होने वाला यह आयोजन न केवल मध्य प्रदेश, बल्कि पूरे देश के लिए एक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक उपलब्धि है। यह कार्यक्रम युवाओं में वैज्ञानिक सोच को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ भारतीय ज्ञान परंपरा को फिर से जीवंत करने की ओर एक सार्थक पहल है।