अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर कड़ा रुख अपनाते हुए बांग्लादेश से आने वाले उत्पादों पर 35% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस कदम से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने की आशंका है। इसके साथ ही 14 अन्य देशों पर भी भारी टैरिफ लागू किया जाएगा, जिससे वैश्विक व्यापार पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है।
बांग्लादेश के लिए क्यों बढ़ी मुश्किलें?
- अमेरिका, बांग्लादेश का एक बड़ा निर्यात बाजार है।
- ट्रंप के नए आदेश के तहत बांग्लादेशी उत्पाद अब अमेरिकी बाजार में 35% महंगे होंगे।
- इससे बांग्लादेश की निर्यात आय में गिरावट, बेरोजगारी में वृद्धि और आर्थिक संकट गहराने की आशंका है।
- पहले ही सत्ता परिवर्तन के बाद बांग्लादेश राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता से जूझ रहा है।
किन 14 देशों को अमेरिका ने बनाया निशाना?
अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर पत्र भेजकर 14 देशों को सूचित किया है कि उनके उत्पादों पर भी टैरिफ बढ़ाया जा रहा है। ये देश हैं:
- बांग्लादेश
- बोस्निया एंड हर्जेगोविना
- कंबोडिया
- इंडोनेशिया
- जापान
- कजाकिस्तान
- लाओस
- मलेशिया
- सर्बिया
- दक्षिण अफ्रीका
- दक्षिण कोरिया
- थाईलैंड
- ट्यूनीशिया
- म्यांमार
देशवार टैरिफ दरें (Country-wise Tariff Rates):
देश | टैरिफ दर |
---|---|
लाओस | 40% |
म्यांमार | 40% |
थाईलैंड | 36% |
कंबोडिया | 36% |
बांग्लादेश | 35% |
सर्बिया | 35% |
इंडोनेशिया | 32% |
दक्षिण अफ्रीका | 30% |
बोस्निया | 30% |
मलेशिया | 25% |
ट्यूनीशिया | 25% |
जापान | 25% |
दक्षिण कोरिया | 25% |
कजाकिस्तान | 25% |
बांग्लादेश को भेजा गया ट्रंप का पत्र
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस को एक पत्र भेजकर कहा कि:
- 1 अगस्त 2025 से बांग्लादेशी उत्पादों पर 35% आयात शुल्क लागू होगा।
- यह शुल्क अमेरिका-बांग्लादेश व्यापार घाटे की असमानता को संतुलित करने के लिए आवश्यक है।
- ट्रंप ने सुझाव दिया कि अगर बांग्लादेश अपने व्यापारिक बाजारों को अमेरिका के लिए खोलता है, और मौजूदा टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाता है, तो अमेरिका शुल्क में राहत दे सकता है।
कुछ देशों को मिली अस्थायी राहत
ट्रंप प्रशासन ने अन्य देशों पर लगाए गए टैरिफ के लिए राहत की अवधि बढ़ा दी है। यह राहत पहले 9 जुलाई को समाप्त होनी थी, लेकिन अब इसे 1 अगस्त तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
व्यापारिक मोर्चे पर बांग्लादेश को बड़ा झटका
ट्रंप का यह फैसला बांग्लादेश जैसे विकासशील देशों के लिए एक गंभीर आर्थिक चुनौती बन सकता है। न केवल इसके निर्यात प्रभावित होंगे, बल्कि इससे स्थानीय उद्योगों, रोजगार और आर्थिक स्थिरता पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा। आगे की नीतियों में बदलाव करके ही बांग्लादेश इस संकट से उबर सकता है।