सेना ने 104 बंधकों को छुड़ाया
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में मंगलवार को एक बड़ा आतंकी हमला हुआ, जब बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने क्वेटा से पेशावर जा रही जाफर एक्सप्रेस पर हमला कर उसे हाईजैक कर लिया। इस हमले में 30 पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या कर दी गई, जबकि बलूच लड़ाकों ने 214 यात्रियों को बंधक बना लिया।
सेना का ऑपरेशन: 16 विद्रोही ढेर, 104 बंधकों की रिहाई
पाकिस्तानी सेना ने 24 घंटे के भीतर जवाबी कार्रवाई शुरू की और अब तक 16 विद्रोहियों को मार गिराया है। सेना और सुरक्षा बलों के ऑपरेशन में 104 बंधकों को सुरक्षित छुड़ा लिया गया, जिनमें 58 पुरुष, 31 महिलाएं और 15 बच्चे शामिल हैं। बाकी बंधकों की रिहाई के लिए सेना का ऑपरेशन अभी भी जारी है।
हमले की वजह और BLA की मांग
बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने इस हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा है कि उनके लड़ाके बलूचिस्तान की आज़ादी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने बंधकों को “युद्धबंदी” कहा है और पाकिस्तानी सरकार से अपनी मांगें पूरी करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है।
BLA की प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:
- पाकिस्तान की जेलों में बंद बलूच कार्यकर्ताओं और राजनैतिक कैदियों की बिना शर्त रिहाई।
- गायब किए गए बलूच नागरिकों की जानकारी और उनकी रिहाई।
- बलूच स्वतंत्रता संग्राम में शामिल लड़ाकों और अलगाववादी नेताओं की आज़ादी।
BLA के हमले से पाकिस्तान में हड़कंप
BLA के इस हमले के बाद पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों और सरकार में हड़कंप मच गया है। पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, सेना और खुफिया एजेंसियों ने बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है।
बलूच विद्रोह और पाकिस्तान का इतिहास
बलूचिस्तान में पाकिस्तान सरकार और सेना के खिलाफ लंबे समय से विद्रोह चल रहा है। BLA समेत कई अलगाववादी संगठन बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान की सेना पर बलूच नागरिकों के मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप भी लगते रहे हैं, जिसमें बलूच कार्यकर्ताओं का गायब होना, टॉर्चर और हत्याएं शामिल हैं।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अभी तक इस हमले पर किसी भी देश की औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन पाकिस्तान में बढ़ते अशांति और बलूच विद्रोह को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय पहले से ही चिंतित है।
अब यह देखना होगा कि पाकिस्तान सरकार और सेना BLA की मांगों को मानती है या सख्त कार्रवाई करती है। लेकिन यह हमला पाकिस्तान की सुरक्षा नीति पर सवाल खड़े करता है और बताता है कि बलूचिस्तान में हालात कितने गंभीर हो चुके हैं।