भारत में आस्था के अलग – अलग रूप देखने को मिलते हैं। ऐ्सा ही एक हैरान करने वाला मामला आया है जहां बकरे की मौत होने पर पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। पूरा मामला मुरादाबाद मंडल (जिले) के गांव पाल का बताया जा रहा है। जहां चामुंडा मंदिर के नाम से छोड़े बकरे की मौत होने पर ग्रामीणों ने उसकी अर्थी बनाई। इतना ही नहीं उसकी शवयात्रा निकालकर ग्रामीण ने शव को लेकर गंगा तट पर पहुंचे। उसके बाद बकरे के शव को गंगा जल में स्नान कराकर उसे किनारे पर दफन कर दिया।
गांव में 15 साल पहले छोड़ा गया बकरा आस्था का प्रतीक था। मामला गजरौला के गांव पाल का है। यहां पर 15 साल पहले ग्रामीणों ने चामुंडा देवी के नाम से सार्वजनिक रूप से बकरा छोड़ा। ग्रामीणों ने बताया कि बकरा गांव में ही घूमता रहता था।
शाम को चामुंडा मंदिर के आसपास बैठ जाता था। छह महीने पूर्व वह बीमार हो गया। उसका इलाज कराया, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ। पशु चिकित्सालय में भी लेकर आए। मंगलवार रात बकरे की मौत हो गई। बुधवार सुबह ग्रामीणों को जानकारी हुई तो उसका विधिविधान से अंतिम संस्कार करने की तैयारी में जुट गए।
मनुष्य की तरह उसकी अर्थी बनाई। उस पर फूल चढ़ाए गए। महिलाओं ने रुपये भी चढ़ाए। ट्रैक्टर-ट्रॉली में अर्थी रख कर ग्रामीण तिगरी गंगा तट पर ले गए। उसके मृत शरीर को स्नान कराया। शिव कुमार भारती, सरजीत, महेंद्र, सनी, कन्हई, वरुण, कपिल, सौरभ, प्रवीण आदि ने गंगा किनारे उसे दफन किया। बकरे का शव मनुष्य की तरह सजा कर ले जाने और उसका विधि विधान से अंतिम संस्कार किए जाने की चर्चा भी इलाके में खूब होती रही।