रिपोर्ट: इमरान खान, श्योपुर
श्योपुर : ग्वालियर की एसटीएफ टीम ने व्यापारी बनकर दो शातिर शिकारी को गिरफ्तार किया है इन शिकारियों से 6 शीतल और सांभर के 11 सींग एक जिंदा जंगली खरगोश और बोलोरो गाड़ी बरामद हुई है, एसटीएफ ने शिकारियो को वन विभाग के हवाले करके आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। एसटीएफ ग्वालियर टीम के मेंबर नरेंद्र शर्मा का कहना है कि, सूचना मिली थी कि, श्योपुर में राजस्थान का एक व्यक्ति वन्यजीवों के अंगों की तस्करी करने की फिराक में घूम रहा है, इस पर टीम गठित करके उससे डील की गई और जब वह वन्य जीवों के सीगो की डिलीवरी देने बोलोरो गाड़ी से बस स्टैंड पर आया वैसे ही उससे गिरफ्तार कर लिया उसे 11 सींग बरामद हुए हैं, एक बोलेरो गाड़ी भी बरामद की गई है आरोपी लंबे समय से इस तरह के कार्य में लिप्त था जिसके तार अंतरराष्ट्रीय शिकारी की गैंग से जुड़े हुए हैं उससे आगे पूछताछ की जा रही है ताकि अन्य शिकारियों का भी पता लगाया जा सके। हम आपको बता दें कि, ग्वालियर की एसटीएफ टीम ने महीने भर में इस तरह की दूसरी कार्रवाई की है, इससे पहले तेंदुआ की खाल के साथ दो शिकारियो को एसटीएफ ने व्यापारी बनकर गिरफ्तार किया था अब दूसरी बार इस तरह की कार्रवाई की है इसे लेकर स्थानीय वन विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की कर प्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं क्योंकि जिले में 500 के करीब बनकर्मी तैनात है फिर भी यहां शिकार नहीं रुक पा रहा है।
शिकार रोकने में जुटा भारी भरकम वन अमला क्यों नाकाम?
मध्य प्रदेश में वन्य प्राणियों के शिकार की घटनाएँ लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं। राज्य में हर साल चीतल, सांभर, बाघ, तेंदुआ समेत कई वन्य प्राणियों का शिकार किया जाता है। हालांकि, इस विषय पर सटीक आंकड़े हर साल प्रकाशित नहीं होते, लेकिन संरक्षण की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के बावजूद शिकार की घटनाएँ सामने आती रहती हैं।
वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों में कुछ सफलता जरूर मिली है, जैसे कि हाल के वर्षों में कुछ प्रजातियों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। लेकिन शिकार रोकने में वन विभाग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। घुमंतू शिकारी गिरोह, संगठित अपराध, संसाधनों की कमी और व्यापक वन क्षेत्र की निगरानी की कठिनाइयाँ प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से वन विभाग शिकार पर पूरी तरह से लगाम नहीं लगा पाता।
वन विभाग ने इस समस्या से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे गश्त बढ़ाना, ऑपरेशन वाइल्ड ट्रैप जैसी विशेष मुहिम चलाना और जंगलों में कैमरा ट्रैप के जरिए निगरानी रखना। बाघों और अन्य वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कई संवेदनशील क्षेत्रों में रेड अलर्ट भी जारी किया गया है। इसके अलावा, आधुनिक तकनीकों और ड्रोन कैमरों की मदद से शिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।
इन प्रयासों के बावजूद, वन्यजीवों का शिकार एक गंभीर समस्या बनी हुई है, जिसे पूरी तरह रोकने के लिए और अधिक सख्त कानून, मजबूत निगरानी तंत्र और स्थानीय समुदायों की भागीदारी की आवश्यकता है।
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