BY: Yoganand Shrivastava
नई दिल्ली, पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच व्हाइट हाउस में हुई दोपहर की मुलाकात पर भारत के वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर ने तीखा व्यंग्य किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस भोज के दौरान जनरल मुनीर को “फूड फॉर थॉट” (सोचने का विषय) जरूर मिला होगा।
थरूर ने कहा कि जनरल मुनीर ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार का योग्य बताया था, और उसके तुरंत बाद उन्हें व्हाइट हाउस में लंच के लिए आमंत्रण मिल गया – जो अपने आप में एक कटाक्ष का विषय है।
व्हाइट हाउस लंच और राजनीतिक संदेश
शशि थरूर ने मीडिया से बातचीत में कहा,
“मैंने बैठक के किसी विशेष नतीजे के बारे में नहीं सुना है, लेकिन व्हाइट हाउस के मुताबिक जनरल ने ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की सिफारिश की थी – और उसके जवाब में उन्हें लंच पर आमंत्रण मिला।”
थरूर ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि भोजन के साथ अगर कोई राजनैतिक समझ भी मिली हो, तो उसे ‘फूड फॉर थॉट’ माना जा सकता है।
पाकिस्तान और आतंकवाद पर अमेरिका की भूमिका
थरूर ने अमेरिका से यह अपेक्षा जताई कि वह पाकिस्तान को यह याद दिलाए कि उसकी धरती से आतंकवाद को खत्म करना उसके अपने हित में भी है। उन्होंने अमेरिका को 9/11 वर्ल्ड ट्रेड सेंटर हमलों की याद दिलाते हुए कहा:
“हम आशा करते हैं कि अमेरिका यह नहीं भूलेगा कि आतंकवाद ने उसी की सरजमीं पर कितना बड़ा हमला किया था। अब वक्त आ गया है कि पाकिस्तान को यह स्पष्ट संदेश दिया जाए कि वह आतंकवाद को पालने-पोसने का काम बंद करे।”
थरूर ने कहा कि अमेरिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पाकिस्तान आतंकवादी संगठनों को शरण, हथियार और फंडिंग न दे और उन्हें भारत में भेजने से रोके।
मुनीर की खातिरदारी पर सवाल
शशि थरूर ने तंज कसते हुए कहा,
“जब जनरल मुनीर को वाइन परोसी जा रही थी या स्वादिष्ट भोजन कराया जा रहा था, तो आशा है कि उसी वक्त उन्हें कुछ ऐसे राजनयिक और सुरक्षा संबंधी संदेश भी दिए गए होंगे जो अमेरिका के दीर्घकालिक हित में हों।”
भारत-पाकिस्तान तनाव और ट्रंप-मुनीर बैठक का समय
यह मुलाकात ऐसे वक्त में हुई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में एक चार दिवसीय सैन्य संघर्ष हुआ है। ट्रंप और मुनीर की यह बैठक उसी के कुछ हफ्तों बाद हुई। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अमेरिका यात्रा पहले ही हो चुकी थी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही ट्रंप से सीधा संवाद किया था।
मोदी-ट्रंप बातचीत और अमेरिकी दबाव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रंप के बीच हुई 35 मिनट की टेलीफोन बातचीत को लेकर शशि थरूर ने कहा:
“अगर अमेरिका की ओर से कोई दबाव बनाया गया था, तो वह सिर्फ पाकिस्तान पर था। भारत ने न तो किसी मध्यस्थता की मांग की और न ही ट्रंप की कोई भूमिका तय की गई।”
थरूर ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत की आतंकवाद पर नीति “जीरो टॉलरेंस” की रही है, और इसमें किसी भी तरह की बातचीत या समता की गुंजाइश नहीं है।
मुनीर बनाम भारतीय प्रतिनिधिमंडल
विपक्ष के आरोपों पर कि जहां मुनीर को ट्रंप ने व्हाइट हाउस में बुलाया, वहीं भारतीय प्रतिनिधिमंडल को सिर्फ अमेरिका के उपराष्ट्रपति से मिलने का मौका मिला, इस पर थरूर ने जवाब देते हुए कहा:
“प्रधानमंत्री पहले ही ट्रंप से मिल चुके थे। संसदीय प्रतिनिधिमंडल का काम सांसदों से मिलना होता है, इसलिए उपराष्ट्रपति से मुलाकात भी एक सम्मानजनक और परंपरागत पहल है।”
उन्होंने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने वही संदेश अमेरिका को दिया जो प्रधानमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके थे।
मध्यस्थता पर अंतिम टिप्पणी
शशि थरूर ने जोर देकर कहा:
“मध्यस्थता का तात्पर्य तब होता है जब दोनों पक्ष समान स्तर पर हों। यहां कोई समानता नहीं है — एक तरफ पीड़ित है और दूसरी ओर आतंकवाद फैलाने वाला।”
थरूर ने यह भी याद दिलाया कि वे पहले भी विभिन्न देशों की राजधानियों में भारत की तरफ से पाक प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व कर चुके हैं।
सियासी चुटकियों में गंभीर संदेश
शशि थरूर का यह बयान महज कटाक्ष नहीं था। उन्होंने भारत की विदेश नीति, आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख और अमेरिका से उम्मीदों को चुटीले अंदाज़ में सामने रखा। उनके “फूड फॉर थॉट” जैसे शब्दों में न केवल हास्य था, बल्कि एक गहरी राजनीतिक चेतावनी भी।
यह साफ है कि भारत अब वैश्विक कूटनीति में केवल ‘तटस्थ’ दृष्टिकोण नहीं अपनाता, बल्कि अपनी स्थिति को स्पष्टता और दृढ़ता के साथ प्रस्तुत करता है — फिर चाहे वह व्हाइट हाउस की मेज हो या संयुक्त राष्ट्र का मंच।