क्या बॉलीवुड एक्टर सैफ अली खान की पुश्तैनी संपत्ति जब्त हो सकती है? हाल ही में यह खबर सामने आई कि भारत सरकार उनकी करीब ₹15,000 करोड़ की संपत्ति सीज कर सकती है। वजह है – ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968’। पर सवाल यह है कि भारत में जन्मे और यहीं के नागरिक सैफ अली खान की संपत्ति “शत्रु संपत्ति” कैसे मानी जा सकती है? आइए इस पूरे विवाद को समझते हैं।
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कौन हैं सैफ अली खान? नवाबी विरासत से कैसे जुड़ा है मामलाहमीदुल्लाह खान की दो बेटियाँ थीं:फिर सवाल उठता है: शत्रु संपत्ति कैसे हुई?सरकार का तर्क:लेकिन साजिदा को भारत सरकार ने 1962 में दी थी स्वीकृति:फिर मामला फिर से क्यों उछला?2017 में हुआ कानून में संशोधन:क्या है ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968’?2017 का संशोधन क्या कहता है?सुप्रीम कोर्ट के फैसले जिनसे बदला कानून1. राजा मोहम्मद आमिर बनाम भारत संघ (2005)2. लखनऊ नगर निगम बनाम कोहली ब्रदर्स (2024)भारत में कितनी शत्रु संपत्तियां हैं?सैफ अली खान का मामला आगे क्या होगा?निष्कर्ष: क्या संपत्ति बचेगी या जाएगी?
कौन हैं सैफ अली खान? नवाबी विरासत से कैसे जुड़ा है मामला
- सैफ अली खान पटौदी और भोपाल के नवाब घराने से ताल्लुक रखते हैं।
- उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी, पटौदी रियासत (हरियाणा) के अंतिम नवाब थे।
- उनकी दादी साजिदा सुल्तान, भोपाल के अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खान की बेटी थीं।
हमीदुल्लाह खान की दो बेटियाँ थीं:
- आबिदा सुल्तान – विभाजन के बाद पाकिस्तान चली गईं और वहीं की नागरिकता ले ली।
- साजिदा सुल्तान – भारत में रहीं और पटौदी राजघराने से शादी की। इन्हें ही भोपाल की सारी संपत्ति मिली।
यही वजह है कि सैफ अली खान को नवाब हमीदुल्लाह खान की संपत्ति विरासत में मिली।
फिर सवाल उठता है: शत्रु संपत्ति कैसे हुई?
सरकार का तर्क:
- चूंकि नवाब की बड़ी बेटी आबिदा पाकिस्तान चली गईं और वहीं की नागरिकता ले ली, इसलिए संपत्ति “शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968” के अंतर्गत आती है।
- यह अधिनियम उन भारतीय नागरिकों की संपत्तियों को “शत्रु संपत्ति” घोषित करता है जो पाकिस्तान या चीन चले गए और वहाँ की नागरिकता ले ली।
लेकिन साजिदा को भारत सरकार ने 1962 में दी थी स्वीकृति:
- 1962 में तत्कालीन भारत सरकार ने साजिदा सुल्तान को संपत्ति ट्रांसफर करने की अनुमति दी थी।
- कोर्ट ने भी इस आधार पर 2014 में सैफ के पक्ष में फैसला दिया।
फिर मामला फिर से क्यों उछला?
2017 में हुआ कानून में संशोधन:
- शत्रु संपत्ति अधिनियम में 2017 में संशोधन किया गया ताकि 2005 के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को निष्प्रभावी किया जा सके।
- अब भले ही “शत्रु” की संपत्ति का वारिस भारतीय नागरिक हो, वह संपत्ति का मालिक नहीं बन सकता।
इस संशोधन के बाद, कस्टोडियन ऑफ एनिमी प्रॉपर्टी (सीईपीआई) ने 1962 की अनुमति को अमान्य कर दिया, जिससे सैफ की संपत्तियां फिर कानूनी विवाद में आ गईं।
क्या है ‘शत्रु संपत्ति अधिनियम 1968’?
यह कानून भारत-पाक और भारत-चीन युद्धों के बाद बनाया गया था। इसके तहत:
- जो व्यक्ति युद्ध के दौरान पाकिस्तान या चीन चले गए और वहाँ की नागरिकता ले ली, उनकी भारत में छोड़ी संपत्ति को सरकार जब्त कर सकती है।
- इन संपत्तियों को “शत्रु संपत्ति” माना जाता है।
- इसमें जमीन, भवन, होटल, कंपनियों के शेयर और अन्य अचल/चल संपत्तियां शामिल हो सकती हैं।
- सरकार कस्टोडियन नियुक्त करती है जो इन संपत्तियों का संरक्षण और प्रबंधन करता है।
2017 का संशोधन क्या कहता है?
- 1968 के बाद से शत्रु संपत्ति का कोई भी ट्रांसफर मान्य नहीं होगा।
- यदि वारिस भारत का नागरिक भी हो, तो भी वह इस संपत्ति का दावा नहीं कर सकता।
- संपत्ति सीधे सरकार के अधीन मानी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले जिनसे बदला कानून
1. राजा मोहम्मद आमिर बनाम भारत संघ (2005)
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा: अगर शत्रु का वारिस भारतीय नागरिक है, तो वह संपत्ति का हकदार हो सकता है।
- सरकार ने इस फैसले को पलटने के लिए 2017 में कानून में संशोधन किया।
2. लखनऊ नगर निगम बनाम कोहली ब्रदर्स (2024)
- कोर्ट ने कहा कि सरकार सिर्फ अस्थायी तौर पर कस्टोडियन हो सकती है, पर स्थायी मालिक नहीं।
भारत में कितनी शत्रु संपत्तियां हैं?
सरकारी आंकड़ों के अनुसार (2018 तक):
- कुल शत्रु संपत्तियां: 9,406
- पाकिस्तानी नागरिकों की छोड़ी गई: 9,280
- सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में: 4,991 संपत्तियां
- उसके बाद पश्चिम बंगाल, दिल्ली
- चीनी नागरिकों की छोड़ी गई संपत्तियां: 126
- सबसे ज्यादा मेघालय में
इन संपत्तियों की कुल अनुमानित कीमत ₹1 लाख करोड़ से अधिक है।
सैफ अली खान का मामला आगे क्या होगा?
- मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए हैं।
- संभवतः यह मामला फिर सुप्रीम कोर्ट जाएगा।
- अगर कोर्ट 2017 संशोधन को वैध मानता है, तो सैफ अली खान की संपत्ति जब्त की जा सकती है।
निष्कर्ष: क्या संपत्ति बचेगी या जाएगी?
- कानून स्पष्ट है, लेकिन मामला कानूनी पेच में फंसा हुआ है।
- यदि कोर्ट 1962 के फैसले को पर्याप्त मानेगा, तो सैफ की संपत्ति बच सकती है।
- अगर 2017 का संशोधन प्रभावी माना गया, तो संपत्ति सरकार के अधीन आ सकती है।