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यह दौरा विशेष क्यों?चीन का माइंड गेम: जयशंकर के पहुंचने से पहले तिब्बत पर बयानप्रमुख मुद्दे और एजेंडा1. भारत-चीन बॉर्डर विवाद2. शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की मीटिंग3. दलाई लामा का उत्तराधिकारी विवाद4. रेयर अर्थ मिनरल्स और आर्थिक तनावरणनीतिक जटिलताएं और ट्रस्ट डेफिसिटसलामी स्लाइसिंग स्ट्रैटेजी: चीन की पुरानी चालएलएसी का अस्पष्ट निर्धारणडिप्लोमेसी बनाम ग्राउंड रियलिटीजयशंकर की चुनौती: क्या बदलाव लाएगा यह दौरा?भारत की प्राथमिकताएं:चीन की प्राथमिकताएं:निष्कर्ष: यात्रा से उम्मीद या सिर्फ रणनीति?
विदेश मंत्री एस. जयशंकर 13-15 जुलाई 2025 तक चीन की यात्रा पर हैं। यह पांच वर्षों के बाद उनका पहला आधिकारिक दौरा है — खासकर गलवान घाटी संघर्ष के बाद। ऐसे में यह दौरा भारत-चीन संबंधों में संभावित बदलाव या तनाव को दर्शाता है।
यह दौरा विशेष क्यों?
- गलवान संघर्ष के बाद पहली उच्चस्तरीय यात्रा
- एसईओ (SCO) फॉरेन मिनिस्टर्स की मीटिंग का आयोजन
- बॉर्डर तनाव, तिब्बत विवाद, और रेयर अर्थ मिनरल्स जैसे मुद्दे चर्चा में
चीन का माइंड गेम: जयशंकर के पहुंचने से पहले तिब्बत पर बयान
जैसे ही जयशंकर चीन पहुंचे, बीजिंग ने तुरंत विवादित मुद्दा तिब्बत उठाकर माहौल को तनावपूर्ण बना दिया।
चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा: “तिब्बत भारत-चीन संबंधों में सबसे बड़ा कांटा है।”
इस बयान से चीन ने संकेत दिया कि वह यात्रा से पहले ही डिप्लोमैटिक प्रेशर बनाना चाहता है।
प्रमुख मुद्दे और एजेंडा
1. भारत-चीन बॉर्डर विवाद
- भारत चाहता है 2020 से पहले की स्थिति की बहाली (Status Quo Ante)
- देसांग, डेमचक जैसे क्षेत्रों में अभी तक समाधान नहीं
- 19 कोर कमांडर लेवल वार्ताएं होने के बावजूद प्रगति सीमित
भारत का स्पष्ट रुख: जब तक बॉर्डर क्लियर नहीं, तब तक सामान्य संबंध संभव नहीं।
2. शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) की मीटिंग
- 9 सदस्य देश: भारत, पाकिस्तान, चीन, रूस, ईरान, कजाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान
- भारत उठाएगा:
- पाकिस्तान की टेरर फंडिंग
- पहलगाम आतंकी हमले का मुद्दा
- आशंका: चीन पाकिस्तान का बचाव कर सकता है और जॉइंट स्टेटमेंट में बदलाव की कोशिश करेगा
3. दलाई लामा का उत्तराधिकारी विवाद
- भारत का रुख: अगला दलाई लामा तिब्बती लोग चुनेंगे
- चीन का रुख: हम तय करेंगे अगला दलाई लामा कौन होगा
- चीन धर्मशाला में भारत द्वारा दी जा रही सुविधाओं पर आपत्ति जताता है
4. रेयर अर्थ मिनरल्स और आर्थिक तनाव
- चीन ने भारत के लिए सप्लाई रोकने की कोशिश की
- भारत वैकल्पिक स्रोतों की तलाश में (जैसे अर्जेंटीना, घाना)
- यह एक स्ट्रैटजिक ब्लॉक बनता जा रहा है – चीन सप्लाई में रुकावट डालकर दबाव बनाना चाहता है
रणनीतिक जटिलताएं और ट्रस्ट डेफिसिट
सलामी स्लाइसिंग स्ट्रैटेजी: चीन की पुरानी चाल
- थोड़ा-थोड़ा इलाका कब्जाना और फिर ट्रूस की बात करना
- 5 किमी अंदर आकर 2 किमी पीछे हटना — नेट गेन = 3 किमी
एलएसी का अस्पष्ट निर्धारण
- भारत चाहता है एलएसी स्पष्ट हो
- चीन इसे जानबूझकर ‘अनरिजॉल्व्ड’ रखना चाहता है
डिप्लोमेसी बनाम ग्राउंड रियलिटी
- सीधी फ्लाइट्स, विज़ा ईज़ और कैलाश यात्रा जैसे संकेत तो सकारात्मक हैं
- परंतु बॉर्डर पर सैन्य जमावड़ा, राजनयिक अविश्वास, और डिसइंगेजमेंट की धीमी गति चिंता का कारण हैं
जयशंकर की चुनौती: क्या बदलाव लाएगा यह दौरा?
भारत की प्राथमिकताएं:
- गलवान से पहले की स्थिति की बहाली
- बॉर्डर पर पूर्ण डिसइंगेजमेंट
- तिब्बत, दलाई लामा, रेयर अर्थ सप्लाई पर स्पष्ट समझौते
चीन की प्राथमिकताएं:
- भारत RCEP और एशियन ट्रेड फ्रेमवर्क में वापस लौटे
- तिब्बत और दलाई लामा के मुद्दों में हस्तक्षेप न करे
- पाकिस्तान का समर्थन और सुरक्षा मामलों में भारत का बैलेंसिंग
निष्कर्ष: यात्रा से उम्मीद या सिर्फ रणनीति?
एस. जयशंकर की चीन यात्रा का महत्व प्रतीकात्मक से कहीं अधिक है — यह भारत-चीन संबंधों की दिशा तय कर सकती है। लेकिन…
- अगर कोई संयुक्त बयान (Joint Statement) जारी होता है, तब भी असली बदलाव जमीन पर देखने होंगे
- बॉर्डर डी-एस्केलेशन, विश्वास बहाली, और पारदर्शिता के बिना सुधार अधूरा रहेगा