Reporter: Arvind Chouhan, Update By Yoganand Shrivastva
ग्वालियर, मध्यप्रदेश: राज्य के लोक स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। ग्वालियर प्रवास के दौरान मंत्री पटेल पर एक स्थानीय रेस्टोरेंट में दबंगई और अभद्र व्यवहार करने के गंभीर आरोप लगे हैं।
मामला सिटी सेंटर स्थित प्रसिद्ध क्वालिटी रेस्टोरेंट का है, जहां मंत्री अपने सुरक्षाकर्मियों और समर्थकों के साथ भोजन के लिए पहुंचे थे। उनके एक समर्थक ने पहले से ही फर्स्ट फ्लोर पर उनके लिए टेबल बुक करवा रखी थी। वहीं, एक अन्य मंत्री के लिए ग्राउंड फ्लोर पर टेबल आरक्षित थी।
भूख में बेकाबू हुए मंत्री, स्टाफ पर भड़के
रिपोर्ट्स के अनुसार, भूख की वजह से मंत्री पटेल ग्राउंड फ्लोर पर ही बैठना चाहते थे। जब उन्हें वहां बैठने की व्यवस्था नहीं मिली, तो वह भड़क उठे। उन्होंने तुरंत खाद्य सुरक्षा विभाग और पुलिस टीम को मौके पर बुलवा लिया। इसके बाद उन्होंने किचन की जांच करवाई और खाद्य पदार्थों के सेंपल लेने के निर्देश भी दिए।
रेस्टोरेंट संचालक से दुर्व्यवहार, सीसीटीवी में कैद हुई घटना
रेस्टोरेंट संचालक कमल अरोड़ा ने मंत्री को कई बार शांत करने की कोशिश की और विनम्रता से हाथ जोड़ते रहे, लेकिन मंत्री का गुस्सा शांत नहीं हुआ। इस दौरान मंत्री के एक गार्ड ने संचालक को जबरन धक्का दिया, और कई बार धकियाया। यह पूरी घटना रेस्टोरेंट के सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई है।
व्यापारियों में रोष, चैंबर ऑफ कॉमर्स ने जताई नाराजगी
घटना की जानकारी मिलते ही चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष और कई व्यापारी नेता मौके पर पहुंचे और मंत्री के रवैये पर नाराजगी जताई। उन्होंने मंत्री पर गाली-गलौज, धक्का-मुक्की और शराब के नशे में उत्पात मचाने के आरोप लगाए। साथ ही, खाद्य विभाग द्वारा की गई सैंपलिंग कार्रवाई पर भी सवाल खड़े किए।
कार्रवाई की मांग, आंदोलन की चेतावनी
व्यापारियों ने मांग की है कि मंत्री को मंत्रिमंडल से तत्काल हटाया जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि मंत्री के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की गई, तो प्रदेश व्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। जल्द ही मंत्री के खिलाफ यूनिवर्सिटी थाना में शिकायत दर्ज कराने की तैयारी भी चल रही है।
खाद्य विभाग का बयान
इस विवाद पर खाद्य विभाग की एक महिला अधिकारी ने सफाई देते हुए कहा कि खाद्य पदार्थों की सैंपलिंग रूटीन कार्रवाई के तहत की गई थी।
ग्वालियर के इस मामले ने सरकार की छवि पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार इस मामले पर क्या रुख अपनाती है और मंत्री पाटिल के खिलाफ क्या कदम उठाए जाते हैं।
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