नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस सप्ताह अमेरिका यात्रा पर जाएंगे, जहां उनका अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से मुलाकात करने का कार्यक्रम है। इस बैठक का वैश्विक दृष्टिकोण से बड़ा महत्व है। इस चर्चा में मुख्य विषय रक्षा सहयोग, व्यापार संबंध और चीन के बढ़ते आर्थिक और सैन्य प्रभाव का मुकाबला करना रहेगा।
एक प्रमुख एजेंडा होगा भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC), जो एक बहुपक्षीय अवसंरचना परियोजना है, जिसका उद्देश्य चीन की बेल्ट एंड रोड पहल (BRI) का विकल्प प्रस्तुत करना है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना में अदानी समूह की अहम भूमिका है, जो कि गौतम अदानी द्वारा संचालित है। अदानी समूह ने अवसंरचना क्षेत्रों में तेजी से विस्तार किया है, जिसमें पोर्ट, पावर प्लांट्स और रक्षा प्रौद्योगिकी शामिल हैं।
IMEC: चीन की बेल्ट एंड रोड पहल का विकल्प
भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) एक विशाल अवसंरचना परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारत को मध्य पूर्व और यूरोप से जोड़ना है। चीन की BRI की तुलना में, जो कर्ज के जाल की नीति के लिए आलोचित है, IMEC एक बाजार-आधारित और पारदर्शी पहल मानी जाती है, जिसमें भागीदार देशों को अपनी अवसंरचना पर नियंत्रण बनाए रखने का आश्वासन दिया जाता है।
IMEC परियोजना में भारत, UAE, सऊदी अरब, इज़राइल और यूरोप के बीच 4,500 किलोमीटर का व्यापार मार्ग बनाया जाएगा, जो पारंपरिक समुद्री मार्गों की तुलना में यात्रा के समय को काफी कम कर देगा। साझीदार देशों को नए पोर्ट्स, रेलवे नेटवर्क और ऊर्जा परियोजनाओं का भी लाभ होगा।
चीन-ईरान की $400 बिलियन की साझेदारी ने वैश्विक स्तर पर चिंताएं बढ़ा दी हैं, जिसमें ऊर्जा, व्यापार और सैन्य सहयोग शामिल है। इससे चीन को मध्य पूर्व में और मजबूत foothold मिल सकता है, जिससे IMEC को और तेज़ी से लागू करने की आवश्यकता महसूस हुई है।
अदानी समूह की भूमिका
अदानी समूह की ऊर्जा, अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स क्षेत्रों में व्यापक दिलचस्पी है। इस समूह की रणनीतिक निवेशों का भारत की विदेश नीति के उद्देश्य से सीधा ताल्लुक है और यह चीन के अवसंरचना प्रभुत्व को चुनौती देता है।
अदानी समूह ने इज़राइल के हैफा पोर्ट में 70 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की है, जो IMEC का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस कदम से न केवल भारत-इज़राइल संबंध मजबूत होंगे, बल्कि भारत को भूमध्य सागर में भी एक ठोस स्थिति मिलेगी। इज़राइल-भारत रक्षा व्यापार 10 अरब डॉलर से अधिक है, और निजी क्षेत्र में इस संबंध को और मजबूत किया जा रहा है।
अदानी समूह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक पोर्ट्स का अधिग्रहण कर रहा है। इसके अलावा, यह कंपनी सैन्य ड्रोन निर्माण, सेमिकंडक्टर्स और क्लीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में भी विस्तार कर रही है, जो भारत की आर्थिक भविष्यवाणी के लिए केंद्रीय हैं।
भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंध
प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा घोषित व्यापार नीतियों को लेकर चिंता के बीच हो रही है। पिछले महीने, ट्रम्प ने कनाडा और मेक्सिको से आयात पर 25 प्रतिशत और चीन से आयात पर 10 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की, जिससे भारत के साथ संभावित व्यापार तनाव की अटकलें बढ़ गई हैं।
भारत और अमेरिका ने पिछले दो दशकों में सैन्य और रक्षा सहयोग में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी की है, खासकर चीन के प्रभाव के कारण। मोदी-ट्रम्प बैठक में रक्षा सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की उम्मीद है, जिसमें उन्नत अमेरिकी सैन्य प्रौद्योगिकी, ड्रोन प्रौद्योगिकी और साइबर रक्षा प्रणाली की पहुंच प्राप्त करने की कोशिश की जाएगी। दोनों देशों के बीच मालाबार जैसे त्रिपक्षीय नौसैनिक अभ्यास भी हो रहे हैं, और साइबर सुरक्षा पर भी चर्चा होगी।
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